दुनिया साइबर-एआई क्रांति की नींव रख रही है, और भारत सोचने का ठेका विदेशी फर्मों को देकर मस्जिदों के नीचे मंदिर और औरंगज़ेब की कब्र में अपना गौरव तलाश रहा है। न AI से अमेरिका-भारत का नारा सफल हो पाया और न Artificial Intelligence को भारत "अपनी आई" यानी माई बना पाया। पढ़िये इनोवेशन में पिछड़ते भारत की दास्तान।