“यह ठीक है कि वे नफ़रत का प्रचार कर रहे हैं लेकिन उन्हें सार्वजनिक रूप से घृणा प्रचारक नहीं कहना चाहिए क्योंकि इससे उनकी बदनामी होती है। किसी को इस प्रकार चिह्नित करने का अधिकार किसी को नहीं दिया जा सकता। ऐसा करने से बातचीत का रास्ता बंद हो जाता है। यह जनतंत्र के लिए अच्छा नहीं।”यह बात कही जा रही है विपक्ष से जिसने 14 ऐसे समाचार वाचकों के नाम जारी किए हैं जिन्हें वह घृणा के प्रचारक मानता है।
घृणा प्रचारक को घृणा प्रचारक कहना बुरा है!
- वक़्त-बेवक़्त
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- 18 Sep, 2023

विपक्षी गठबंधन इंडिया ने कुछ टीवी चैनलों के एंकरों के कार्यक्रमों के बहिष्कार की घोषणा की तो दक्षिणपंथी खेमा बिलबिला उठा। दरअसल ऐसे घृणा प्रचारकों की पहली बार पहचान हुई है। हालांकि जनता ने सोशल मीडिया पर पहले ही इनकी सूची जारी कर इन्हें घृणा प्रचारक घोषित कर दिया था। लेकिन जब यही बात पूरी जिम्मेदारी के साथ देश के विपक्षी दलों ने कही तो बेचारे विचलित हो गए। हमारे स्तंभकार अपूर्वानंद इस मुद्दे पर बहुत बेबाक राय रख रहे हैं, जरूर पढ़िएः