“यह ठीक है कि वे नफ़रत का प्रचार कर रहे हैं लेकिन उन्हें सार्वजनिक रूप से घृणा प्रचारक नहीं कहना चाहिए क्योंकि इससे उनकी बदनामी होती है। किसी को इस प्रकार चिह्नित करने का अधिकार किसी को नहीं दिया जा सकता। ऐसा करने से बातचीत का रास्ता बंद हो जाता है। यह जनतंत्र के लिए अच्छा नहीं।”यह बात कही जा रही है विपक्ष से जिसने 14 ऐसे समाचार वाचकों के नाम जारी किए हैं जिन्हें वह घृणा के प्रचारक मानता है।