अभी मारे गए लोगों की गिनती भी नहीं हुई है, चिताओं की आग ठंडी भी नहीं हुई है लेकिन महाकुंभ से महाहास की तस्वीरें जारी की जाने लगी हैं। महाकुंभ में भगदड़ और मौतों के दो दिन बाद ही उपराष्ट्रपति और अन्य ‘वी आई पी’ लोगों ने डुबकी लगाते फोटो खिंचवाई और प्रसारित की। सरकार ने ही नहीं, मीडिया ने दो दिन बाद ही यह बतलाना शुरू कर दिया कि बावजूद इन मौतों के, महाकुंभ से संसार के समंदर में तरंगें उठ रही हैं। 77 देशों के 117 प्रतिनिधि महाकुंभ पहुँच चुके हैं। किसी ने न पूछा कि क्या वे अपने खर्चे पर गए हैं या हमारी सरकार उन्हें हमारे कंधों पर बैठाकर ले गई है?