अभी मारे गए लोगों की गिनती भी नहीं हुई है, चिताओं की आग ठंडी भी नहीं हुई है लेकिन महाकुंभ से महाहास की तस्वीरें जारी की जाने लगी हैं। महाकुंभ में भगदड़ और मौतों के दो दिन बाद ही उपराष्ट्रपति और अन्य ‘वी आई पी’ लोगों ने डुबकी लगाते फोटो खिंचवाई और प्रसारित की। सरकार ने ही नहीं, मीडिया ने दो दिन बाद ही यह बतलाना शुरू कर दिया कि बावजूद इन मौतों के, महाकुंभ से संसार के समंदर में तरंगें उठ रही हैं। 77 देशों के 117 प्रतिनिधि महाकुंभ पहुँच चुके हैं। किसी ने न पूछा कि क्या वे अपने खर्चे पर गए हैं या हमारी सरकार उन्हें हमारे कंधों पर बैठाकर ले गई है?
महाकुंभः हिन्दुत्ववादी सरकार में इतने करोड़ जीवित लौटे, कम उपलब्धि है?
- वक़्त-बेवक़्त
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- 29 Mar, 2025

इलाहाबाद के अस्पतालों में चक्कर काटते, रेलवे स्टेशन पर बैठे थके-हारे लोग अभी भी आस में हैं कि शायद उनके अपने लौट आयें। कोई यह सवाल नहीं पूछ रहा कि हादसे के बाद बाबाओं के अखाड़ों ने श्रद्धालुओं को क्या राहत पहुंचाई। करोड़ों का प्रसाद बांटने वाले धनकुबेर ने क्या मदद की। स्तंभकार अपूर्वानंद की विचारोत्तेजक टिप्पणीः