प्रयागराज में महाकुंभ भगदड़ के दो महीने बाद भी पीड़ित परिवार उत्तर प्रदेश सरकार से 25 लाख रुपये की सहायता राशि मिलने का इंतजार कर रहे हैं। इस बीच, वहां लापता हुए लोगों के बारे में भी प्रशासन सही जानकारी अब तक नहीं दे पाया है। पीड़ितों के परिवार जूझ रहे हैं और सरकार को वादा याद दिला रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में कुंभ की भव्यता की तारीफ की, लेकिन 29 जनवरी को हुई भगदड़ में मारे गए लोगों का जिक्र नहीं किया। राहुल गांधी ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि मृतकों को श्रद्धांजलि क्यों नहीं दी गई?
महाकुंभ खत्म हो रहा है। भगदड़ में मरने वालों की सही संख्या योगी सरकार ने आजतक नहीं बताई। लेकिन योगी की टिप्पणी ने उन लोगों में गुस्सा भर दिया है, जो भगदड़ के बाद अपने परिजनों को वहां खोजने गये थे। वरिष्ठ पत्रकार पंकज श्रीवास्तव ने योगी की टिप्पणी के संदर्भ में इस मुद्दे को समझाने की कोशिश की है।
नई दिल्ली और प्रयागराज में हुई दुखद भगदड़ के बाद पूरा देश सदमे में है और प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व को लेकर सवाल उठ रहे हैं। क्या ये विनाशकारी घटनाएं उनकी कुर्सी को खतरे में डाल सकती हैं?
महाकुंभ प्रयागराज में हुई भगदड़ के शिकार हुए लोगों के परिवारों को अभी एक पैसा मुआवजा नहीं मिला। लेकिन नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर शनिवार रात भगदड़ में मृत और घायलों के परिवार को रविवार सुबह 4 बजे से 10-10 लाख कैश बांटा जाने लगा। इस सवाल का जवाब क्या मिलेगा कि इतनी सुबह रविवार को रेलवे के पास इतना कैश कहां से आया। नियम जो तोड़े गये वो बात तो अलग ही है। जानिये पूरी कहानीः
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर शनिवार रात भगदड़ की वजह से हुई दुर्घटना के बाद जांच एजेंसियों ने इस घटना के संभावित कारणों की तहकीकात शुरू कर दी है। लेकिन क्या असली वजह सामने आ सकेगी।
महाकुंभ में भगदड़ के कारण दिल्ली में कई मौतें हुईं। क्या यह महज एक दुर्घटना थी, या सरकार की नाकामी? प्रशासनिक लापरवाही और सुरक्षा उपायों की हकीकत जानिए।
महाकुंभ प्रयागराज में पीएम मोदी के डुबकी लगाने के बाद इसकी चर्चा और बढ़ गई है। लेकिन जिस तरह से मोदी के इस स्नान को टीवी चैनलों ने पेश किया, उससे लग रहा था कि इससे पहले किसी और प्रधानमंत्री ने मानों यहां डुबकी न लगाई हो। वरिष्ठ पत्रकार ओंकारेश्वर पांडेय खंगाल रहे हैं कुंभ का इतिहासः
प्रधानमंत्री मोदी बुधवार को इलाहाबाद में संगम पर जाकर स्नान करेंगे। बुधवार 5 फरवरी को दिल्ली में मतदान है। मोदी ऐसा पहले भी कर चुके हैं। मतदान वाले दिन वे कहीं न कहीं हिन्दुत्व का प्रचार कर रहे होते हैं।
संसद के बजट सत्र में विपक्ष रोजाना महाकुंभ में हुई मौतों और अव्यवस्था का मुद्दा बार-बार उठाने की कोशिश कर रहा है। लेकिन मोदी सरकार के मंत्री, सांसद फौरन टोकाटाकी करने लगते हैं। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने मंगलवार रो इस मुद्दे को धन्यवाद प्रस्ताव पर अपने भाषण के दौरान उठा दिया।
इलाहाबाद के अस्पतालों में चक्कर काटते, रेलवे स्टेशन पर बैठे थके-हारे लोग अभी भी आस में हैं कि शायद उनके अपने लौट आयें। कोई यह सवाल नहीं पूछ रहा कि हादसे के बाद बाबाओं के अखाड़ों ने श्रद्धालुओं को क्या राहत पहुंचाई। करोड़ों का प्रसाद बांटने वाले धनकुबेर ने क्या मदद की। स्तंभकार अपूर्वानंद की विचारोत्तेजक टिप्पणीः
महाकुंभ में बुधवार को भगदड़ की दूसरी घटना भी हुई थी। ऐसा दावा कुछ प्रत्यक्षदर्शियों और मीडिया रिपोर्टों में किया गया है। अगर यह घटना सच है तो आंकड़ा निश्चित रूप से बढ़ेगा। लेकिन यूपी सरकार ने दूसरी भगदड़ की पुष्टि अभी तक नहीं की है। लेकिन सरकार पुष्टि करे न करे, सच छिप नहीं सकता, खासकर जो सबूत मौजूद हों।
महाकुंभ 2025 में हुई भगदड़ में कितनी मौतें हुईं। यूपी सरकार ने यह संख्या 30 बताई है। लेकिन मौके पर मौजूद एक रिपोर्टर ने 40 की संख्या बताई है। हालांकि कई लोग तो इसे 50 से भी ऊपर बता रहे हैं। सैकड़ों लापता लोगों का अभी भी पता नहीं है। कई चश्मदीदों ने और भी तथ्य बताये हैं। कई वीडियो दहलाने वाले हैं।
योगी सरकार ने महाकुंभ में मरने वालों की संख्या क्यों छिपाई? क्या वह देश को गुमराह नहीं कर रही थी? मीडिया ने उसका साथ क्यों दिया वह किसके और किस तरह के दबाव में था?