नई दिल्ली रेलवे स्टेशन की भगदड़ में मारे गये या घायल हुए लोगों के परिवार को मुआवजा मिल चुका है और उनमें अधिकांश प्राइवेट अस्पतालों में अपनी जेब से इलाज करा रहे हैं। रेलवे या ऐसी किसी घटना के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि जब पीड़ित परिवारों को कैश में मुआवजा बांटा गया। आमतौर पर ऐसे मुआवजे में सरकार हमेशा चेक देती है या बैंक ट्रांसफर करती है। लेकिन 50 हजार कैश मुआवजा बांटने के लिए अधिकृत रेलवे ने रविवार सुबह 4 बजे से पीड़ितों को कैश पैसा देना शुरू कर दिया था। मृत शख्स के हर परिवार को कैश में 10 लाख मिले।
दिल्ली में किराड़ी (नांगलोई) में रहने वाले उमेश गिरि और उनके दो बच्चों का एक प्राइवेट अस्पताल में इलाज चल रहा है। पूरा परिवार प्रयागराज महाकुंभ में स्नान के लिए जा रहा था। उमेश गिरि की पत्नी सीलम देवी इस हादसे का शिकार हुईं और उनकी मौत हो गई। उमेश गिरि के परिवार ने सत्य हिन्दी को फोन पर बताया कि उन्हें रविवार सुबह ही 10 लाख रुपये कैश मुआवजा मिल गया था। यह पूछे जाने पर कि इस हादसे की क्या वजह थी, कौन जिम्मेदार था, परिवार ने जवाब नहीं दिया।
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ऐसी कहानी गिरि परिवार की ही नहीं है। अधिकांश मृत और घायलों के परिवारों की यही कहानी है। प्राइवेट अस्पतालों में इलाज करा रहे लोगों का कहना है कि जो मुआवजा मिला है, वो इलाज में खर्च हो रहा है। शुक्र है मुआवजा तो मिल गया। जब उनसे पूछा गया कि आपका इलाज सरकारी अस्पताल में क्यों नहीं हो रहा है तो उन्होंने इस सवाल का भी जवाब नहीं दिया।
अब यह खबर आम हो गई है कि रेलवे ने भगदड़ में मारे गए पीड़ितों के परिजनों को दिल्ली के तीन अस्पतालों के मोर्चरी के बाहर बड़े पैमाने पर कैश बांटा। हर मृतक के प्रत्येक परिवार को 10 लाख रुपये तक कैश की गड्डियाँ सौंपी गईं। पुलिस और रेलवे के मुताबिक स्टेशन पर मची भगदड़ में कम से कम 18 लोगों की मौत हो गई। रविवार को दोपहर तक लगभग सभी शवों को तीन अस्पतालों - डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल, लोक नायक जय प्रकाश नारायण अस्पताल और लेडी हार्डिंग अस्पताल से उठाकर उनके घरों तक पहुँचाया गया।
रेलवे ने रविवार सुबह हर मृत के परिवार को 10-10 लाख रुपये कैश दिये। 18 लोगों की मौत के हिसाब से यह पैसा 1 करोड़ 80 लाख बैठता है। बाकी घायलों के परिजनों को एक लाख से ढाई लाख तक का मुआवजा दिया गया। करीब दो करोड़ रुपये कैश बांटे गये। पीड़ितों की पूरी सूची आपके लिए यहां दी जा रही है।
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उत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी हिमांशु उपाध्याय ने मीडिया से पुष्टि की है कि सभी परिवारों को नकद में एक्सग्रेशिया (अनुग्रह) राशि का भुगतान किया गया।
उन्होंने कहा, “ऑनलाइन भुगतान की प्रतीक्षा किए बिना सभी को नकद दिया गया। जो लोग 10 लाख रुपये के पात्र थे, उन्हें भी नकद दिया गया।”
सीपीआरओ से लेकर रेलवे के तमाम अधिकारियों ने मुआवजा राशि पर चुप्पी साध रखी है। रेलवे ने जो प्रेस रिलीज जारी की है, उसमें सिर्फ एक्सग्रेशिया देने की बात कही गई है। उसमें मुआवजे का जिक्र नहीं है। इसे बताने में रेलवे का नियम आड़े आ रहा है।
रेलवे के 2023 के दिशा-निर्देशों में कहा गया है: शुरुआती खर्चों को पूरा करने के लिए तत्काल राहत के रूप में अधिकतम 50,000 रुपये तक की राशि कैश में दी जानी चाहिए। शेष राशि का भुगतान अकाउंट पेयी चेक/आरटीजीएस/एनईएफटी/किसी अन्य ऑनलाइन भुगतान मोड से किया जाना चाहिए। रेलवे यदि उचित समझे तो अनुग्रह राशि/बढ़ी हुई अनुग्रह राशि का पूरा भुगतान अकाउंट पेयी चेक/आरटीजीएस/एनईएफटी/किसी अन्य ऑनलाइन भुगतान माध्यम से कर सकता है।
इस संबंध में पीआईबी के अधिकारी का जवाब रोचक है। पीआईबी में रेल मंत्रालय के प्रचार को देखने वाले अतिरिक्त महानिदेशक और रेल मंत्रालय के प्रभारी पीआईबी अधिकारी धर्मेंद्र तिवारी ने कहा कि सरकार ने अनुग्रह राशि की घोषणा सुबह 11 बजे के आसपास की थी। यह पूछे जाने पर कि तो फिर घोषणा से बहुत पहले ही कैश क्यों बांटा जा रहा था? तिवारी ने जवाब दिया- "भले ही मीडिया को बाद में बताया गया हो, लेकिन हमने आदेशों पर अमल करना शुरू कर दिया था। इसलिए, हमने सुबह 4 बजे से ही कैश देना शुरू कर दिया था।"
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इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है कि रविवार होने के बावजूद रेलवे के पास दो करोड़ बांटने के लिए कैश कहां से आया। हालांकि हो सकता है कि रेलवे के पास अपना इतना कैश कहीं न कहीं दिल्ली में रखा जाता हो। लेकिन रेलवे अगर यह समय रहते बता दे तो सारे शक दूर हो जायेंगे। सोमवार दूसरा दिन है जब इस रिपोर्ट को लिखे जाने तक रेलवे ने दो करोड़ कहां से आये, इस बारे में कुछ नहीं बताया है। बाकी अन्य सवाल भी तो हैं, जैसे घायलों को सरकारी अस्पतालों से प्राइवेट में क्यों भेजा गया, क्या घायलों का इलाज सरकारी अस्पतालों में सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, क्या सरकार ने घायलों को इसलिए हटाया है कि ताकि अव्यवस्था और रेलवे के निकम्मेपन की सच्चाई छिपाई जा सके। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन की भगदड़ सरकार के लिए एक बदनुमा दाग है जो अब इतिहास में दर्ज हो गई है। महाकुंभ प्रयागराज में भगदड़ से सरकार ने कुछ नहीं सीखा और उसी का नतीजा था नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़।
(रिपोर्ट और संपादनः यूसुफ किरमानी)
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