यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कुंभ के दौरान भगदड़ में हुई मौतों और गंगा में प्रदूषण के सवाल पर जैसा जवाब दिया है, वह लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था की बुनियादी मर्यादा का भी उल्लंघन है। जवाबदेह शासन लोकतंत्र की कसौटी है, पर योगी आदित्यनाथ का व्यवहार इसके उलट है। उन्होंने प्रयागराज कुंभ के दौरान भगदड़ में हुई श्रद्धालुओं की मौतों और गंगा प्रदूषण पर सवाल उठाने वालों को जवाब देते हुए विधानसभा में कहा-“महाकुंभ में जिसने जो तलाशा उसको वो मिला। गिद्धों को लाश मिली, सुअरों को गंदगी मिली जबकि संवेदनशील लोगों को रिश्तों की सुंदर तस्वीर मिली, सज्जनों को सज्जनता मिली, व्यापारियों को धंधा मिला, श्रद्धालुओं को साफ़-सुथरी व्यवस्था मिली... जिसकी जैसी नियति थ दृष्टि थी, उसको वैसा मिला।”
आलोचकों को गिद्ध और सुअर बताकर ज़िम्मेदारी से बच नहीं सकते योगी!
- विश्लेषण
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- 26 Feb, 2025
महाकुंभ खत्म हो रहा है। भगदड़ में मरने वालों की सही संख्या योगी सरकार ने आजतक नहीं बताई। लेकिन योगी की टिप्पणी ने उन लोगों में गुस्सा भर दिया है, जो भगदड़ के बाद अपने परिजनों को वहां खोजने गये थे। वरिष्ठ पत्रकार पंकज श्रीवास्तव ने योगी की टिप्पणी के संदर्भ में इस मुद्दे को समझाने की कोशिश की है।
