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महाकुंभ भगदड़ का फाइल फोटो

महाकुंभ भगदड़ः 2 महीने बाद भी पूरा मुआवजा नहीं, क्या हुआ तेरा वादा

महाकुंभ मेले में 29 जनवरी को हुई भगदड़ को दो महीने बीत चुके हैं। लेकिन इस हादसे में जान गंवाने वाले कई पीड़ितों के परिवारों को अभी तक उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा घोषित 25 लाख रुपये का मुआवजा नहीं मिला है। इस घटना में आधिकारिक रूप से कम से कम 30 लोगों की मौत हुई थी। जिसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने न्यायिक जांच के आदेश दिए थे और मुआवजे की घोषणा की थी। हालांकि, कई परिवारों का कहना है कि उन्हें या तो पूरा मुआवजा नहीं मिला या फिर केवल 5 लाख रुपये की राशि दी गई है। इसके साथ ही, महाकुंभ में लापता हुए लोगों की तलाश अब तक जारी है और उनके परिवार अभी भी अपनों के इंतजार में संघर्ष कर रहे हैं।

हादसे के बाद मेला अधिकारी विजय किरण आनंद ने दावा किया था कि मुआवजा मृतकों के परिजनों के खातों में ट्रांसफर कर दिया गया है। लेकिन कई परिवारों ने इसकी पुष्टि नहीं की। उदाहरण के लिए, जौनपुर के विनय राजभर ने बताया कि उनकी दादी रामपति (70) और चाची रीता देवी (35) की मौत भगदड़ में हो गई थी, लेकिन उन्हें अभी तक मुआवजा नहीं मिला है। विनय ने कहा, "हमें प्रयागराज प्रशासन से मृत्यु प्रमाणपत्र लेने के लिए बुलाया गया, लेकिन बैंक खाते की जानकारी तक नहीं मांगी गई।" इसी तरह, बिहार के गोपालगंज के धनंजय कुमार गोंड ने अपनी मां तारा देवी (65) को खोया और उन्हें केवल 5 लाख रुपये नकद मिले, जबकि घोषित राशि 25 लाख रुपये थी। यूपी के पीड़ित परिवार अब सीएम योगी आदित्यनाथ को वादा याद दिला रहे हैं।

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कई परिवारों ने शिकायत की कि मृतकों की आधिकारिक सूची अभी तक जारी नहीं की गई है। उप महानिरीक्षक (कुंभ) वैभव कृष्ण ने पहले कहा था कि मृतकों की सूची जल्द सार्वजनिक की जाएगी, लेकिन दो महीने बाद भी यह इंतजार खत्म नहीं हुआ। राज्य सरकार का कहना है कि मरने वालों की संख्या 30 थी, लेकिन नामों का खुलासा नहीं किया गया। कुछ परिवारों को 5 लाख रुपये की पहली किस्त मिली और बताया गया कि बाकी राशि किस्तों में दी जाएगी, लेकिन इसकी कोई स्पष्ट समयसीमा नहीं बताई गई। लोग आरोप लगा रहे हैं कि जब पूरे पैसे की जगह आधे पैसे दिए जा रहे हैं तो 25 लाख की घोषणा वापस लेकर आधा पैसे देने की घोषणा की जाए। ताकि लोगों के सामने स्पष्ट तस्वीर रहे।

महाकुंभ के दौरान भगदड़ और भीड़ के कारण कई लोग अपने परिजनों से बिछड़ गए थे। इनमें से कई अभी तक लापता हैं और उनके परिवारों का संघर्ष जारी है। प्रशासन ने लापता लोगों की तलाश के लिए अभियान शुरू किया था, लेकिन परिणाम नाकाफी रहे हैं। एक प्रभावित परिवार ने कहा, "हमारे लिए हर दिन उम्मीद और निराशा के बीच गुजरता है। प्रशासन से कोई ठोस जवाब नहीं मिलता।" अधिकारी लापता लोगों का मृत्यु प्रमाणपत्र भी नहीं दे रहे हैं। इसलिए परिवारों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है।

बलिया के दिनेश पटेल, जिनकी पत्नी रीना देवी (33) और बेटी रोशन पटेल (12) भगदड़ में मारे गए थे, ने कहा, "अधिकारियों ने हमें मृत्यु प्रमाण पत्र (पिछले सप्ताह) सौंप दिया, लेकिन मुआवजे पर चुप हैं।" पटेल ने यह भी कहा कि किसी ने उनसे बैंक विवरण नहीं मांगा।

मध्य प्रदेश के छतरपुर के हुकुम लोधी (45) भी भगदड़ के शिकार लोगों में शामिल थे। हुकुम के साले नारायण सिंह लोधी ने बताया, "हम कुछ समय पहले मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने प्रयागराज गए थे, लेकिन कोई भी हमें सही रास्ता नहीं दिखा सका। हमने जिला प्रशासन को अपना पता और फोन नंबर देकर आवेदन दिया था, लेकिन किसी ने हमसे संपर्क नहीं किया कि मृत्यु प्रमाणपत्र और मुआवजा कब मिलेगा।"

परिवारों के इस दावे पर कि उन्हें सिर्फ 5 लाख रुपये दिए गए, मेला अधिकारी आनंद और प्रयागराज के जिला मजिस्ट्रेट रवींद्र कुमार मंदर ने कहा कि उन्हें मामले की कोई जानकारी नहीं है।

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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी इस मामले में योगी सरकार पर निशाना साधा था और मुआवजे को तुरंत जारी करने की मांग की थी। इस बीच, पीड़ित परिवारों का कहना है कि बिना मृत्यु प्रमाणपत्र और पूरी राहत राशि के उनकी मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। महाकुंभ की इस त्रासदी ने प्रशासनिक तैयारियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं, और प्रभावित लोग अब सरकार से ठोस कदमों की उम्मीद कर रहे हैं।

रिपोर्ट और संपादनः यूसुफ किरमानी
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क़मर वहीद नक़वी
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