इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फिर से एक विवादास्पद फैसला दिया है। इस फैसले में कोर्ट ने रेप के एक आरोपी को यह कहते हुए जमानत दे दी कि पीड़िता ने "खुद मुसीबत को न्योता दिया।" कोर्ट ने पीड़िता के बार में शराब पीने, देर रात आरोपी के साथ जाने और घटना की परिस्थितियों को उसके “व्यक्तिगत निर्णय” का हिस्सा माना, लेकिन यह न्याय से ज़्यादा नैतिकता का मूल्यांकन साबित हो रहा है।
'रेप में लड़की की गलती': इलाहाबाद हाईकोर्ट का एक और शर्मनाक फैसला
- उत्तर प्रदेश
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- सत्य ब्यूरो
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- 10 Apr, 2025
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में एक कॉलेज छात्रा से जुड़े रेप के मामले में एक आरोपी को जमानत दे दी। अदालत ने टिप्पणी की कि पीड़िता ने " खुद ही मुसीबत को आमंत्रित किया" और वही घटना के लिए आंशिक रूप से जिम्मेदार थी। इस विवादास्पद फैसले ने यौन उत्पीड़न के मामलों में अदालती नजरिए पर बहस छेड़ दी है।

मेडिकल रिपोर्ट में यौन संबंध के संकेत मिले, लेकिन कोर्ट ने इसे स्पष्ट रूप से रेप मानने से इनकार कर दिया जबकि आईपीसी का सेक्शन 375 साफ तौर पर किसी भी महिला के साथ नशे में बनाये गये यौन संबंध को रेप मानता है। इस फैसले ने सहमति,महिला की स्वतंत्रता और विक्टिम ब्लेमिंग जैसे मुद्दों को एक बार फिर केंद्र में ला दिया है। क्या अब न्याय प्रणाली महिलाओं के फैसलों को उनके खिलाफ इस्तेमाल कर रही है?
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