तो आ गए न श्रद्धालु, आप भी लपेटे में! आना ही था। अंततः तो दोषी वही होता है, जो साधारण है, निर्बल है, निरपराध है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और उनके अधिकारी कह रहे हैं कि प्रयागराज के महाकुंभ में मौनी अमावस्या को जो लोग मारे गए, घायल हुए, कुचल कर भी किसी चमत्कार से बच गए, दोषी वे ही थे। दोषी वे थे क्योंकि सरकार की व्यवस्था तो पुख्ता थी। हर जगह कैमरे ही कैमरे थे।
यह लोगों की जिद थी कि हम भी वीवीआईपियों की तरह त्रिवेणी संगम पर ही स्नान करेंगे, जबकि उनके लिए दूसरे घाट थे पर वे नहीं माने। हम इतनी दूर से, इतने कष्ट झेलकर आए हैं तो नहाएंगे तो यहीं। प्रयागराज आकर उनकी आकांक्षाएं- इच्छाएं भी वीवीआईपी हो गई थीं!