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योग गुरु रामदेव और योगी आदित्यनाथ महाकुंभ में ।

महाकुंभ भगदड़ः विपक्ष ने डबल इंजन सरकार को घेरा- सेना को सौंपो

महाकुंभ प्रयागराज में भगदड़ से 15 मौतों के बाद विपक्षी दलों ने सरकार को घेर लिया है। उनके निशाने पर पीएम मोदी से लेकर सीएम योगी तक हैं। सरकार एक तरफ भगदड़ से मौत का आंकड़ा जारी नहीं कर रही है तो दूसरी तरफ मोदी मौतों पर परिवारजनों से अफसोस जता रहे हैं। इलाहाबाद में हालात सामान्य हो रहे हैं। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रवींद्र पुरी जैसे बाबाओं ने भगदड़ को छोटी घटना बताना शुरू कर दिया है लेकिन विपक्ष का हमला जारी है।

प्रयागराज में महाकुंभ भगदड़ के बाद विपक्षी नेताओं ने केंद्र और योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार पर "कुप्रबंधन" और "वीआईपी संस्कृति" अपनाने का आरोप लगाया है। विपक्ष ने कहा कि इलाहाबाद गये श्रद्धालुओं को उनके हाल पर छोड़ दिया गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनकी सरकार इधर-उधर से आये वीआईपी लोगों की सेवा में जुटा हुआ है। 

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लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने इस घटना के लिए "वीआईपी संस्कृति" को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि इस पर अंकुश लगाया जाना चाहिए और सरकार को "आम श्रद्धालुओं की जरूरतों को पूरा करने के लिए बेहतर व्यवस्था करनी चाहिए।" शोक व्यक्त करते हुए गांधी ने कहा कि ''प्रयागराज महाकुंभ में भगदड़ के कारण कई लोगों के मारे जाने और कई लोगों के घायल होने की खबर बेहद दुखद है।''

गांधी ने एक्स पर कहा- "मैं शोक संतप्त परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की आशा करता हूं।" राहुल ने कहा- अभी महाकुंभ का काफी समय बचा हुआ है, कई और महास्नान होने हैं। आज जैसी दुखद घटना आगे न हो इसके लिए सरकार को व्यवस्था में सुधार करना चाहिए। वीआईपी कल्चर पर लगाम लगनी चाहिए और सरकार को आम श्रद्धालुओं के जरूरतों की पूर्ति के लिए बेहतर इंतजाम करने चाहिए। कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं से अनुरोध करता हूं कि पीड़ित परिवारों की मदद करें।

समाजवादी पार्टी प्रमुख और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव इस घटना पर दो ट्वीट एक्स पर किये। अखिलेश ने  कहा, ''महाकुंभ में कुप्रबंधन के कारण हुए हादसे में श्रद्धालुओं के हताहत होने की खबर बेहद दुखद है।'' उन्होंने राज्य सरकार से अपील करते हुए कहा कि मृतकों के शवों की पहचान कर उनके परिजनों को सौंपने और उनके निवास स्थान पर भेजने की व्यवस्था की जानी चाहिए।

अखिलेश ने दूसरे ट्वीट में कहा- महाकुंभ में आए संत समाज और श्रद्धालुओं में व्यवस्था के प्रति पुनर्विश्वास जगाने के लिए ये आवश्यक है कि उप्र शासन-प्रशासन के स्थान पर महाकुंभ का प्रशासन और प्रबंधन तत्काल सेना को सौंप देना चाहिए। ‘विश्वस्तरीय व्यवस्था’ करने के प्रचार करते हुए दावों की सच्चाई अब जब सबके सामने आ गयी है, तो जो लोग इसका दावा और मिथ्या प्रचार कर रहे थे, उन्हें इस हादसे में हत हुए लोगों की नैतिक ज़िम्मेदारी लेते हुए अपना पद त्याग देना चाहिए।

सरकार ने अपने प्रचार पर ज्यादा ध्यान दिया

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी सरकार को घेरा। खड़गे ने एक्स पर लिखा-  महाकुंभ के दौरान, तीर्थराज संगम के तट पर हुई भगदड़ से कई लोगों की जान गई है और अनेकों लोगों के घायल होने का समाचार बेहद हृदयविदारक है। आधी अधूरी व्यवस्था, वीआईपी मूवमेंट, प्रबंधन से ज़्यादा स्व प्रचार पर ध्यान देना और बदइंतज़ामी इसके के लिए ज़िम्मेदार है। हज़ारों करोड़ रुपए खर्च करने के बावजूद ऐसी व्यवस्था होना निंदनीय है। अभी कई महत्वपूर्ण शाही स्नान बचे हैं, तो केंद्र और राज्य सरकारों को अब चेत जाना चाहिए, और व्यवस्था को सुधारना चाहिए ताकि आगे ऐसी अप्रिय घटनाएँ न हों। श्रद्धालुओं के ठहरने, भोजन, प्राथमिक चिकित्सा व मूवमेंट आदि की व्यवस्था में विस्तार करना चाहिए और वीआईपी मूवमेंट पर लगाम लगानी चाहिए। यही हमारे साधु संत भी चाहते हैं। कांग्रेस के हमारे कार्यकर्ताओं से अनुरोध है कि पीड़ितों को हर संभव मदद करें।

10 हजार करोड़ कहां गये

शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने कहा महाकुंभ के आयोजन पर दस हजार करोड़ रुपये खर्च करने की बातें कहीं गई। लेकिन उसका सच सामने आ गया। आखिर वो दस हजार करोड़ कहां गये। संजय राउत ने कहा कि “कुंभ मेला एक आयोजन नहीं बल्कि आस्था का विषय है। अगर आप करोड़ों लोगों को बुलाते हैं, तो क्या व्यवस्था है। महिलाओं को सड़कों पर सोना पड़ रहा है। अखिलेश यादव के कार्यकाल में कुंभ की व्यवस्थाएं सबसे अच्छी थीं। जब केंद्रीय मंत्री और वीआईपी दौरे करते हैं तो इससे सिस्टम पर दबाव पड़ता है और पूरे शहर को बंद करना पड़ता है। 10 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। मेरा मानना ​​है कि यह प्रशासन द्वारा की गई हत्या है जो इन मौतों के लिए जिम्मेदार है।”

10,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए गए हैं। कहां गए? अगर व्यवस्था होती तो यह घटना नहीं होती। बीजेपी इस आयोजन की मार्केटिंग कर रही है। यह उनकी आस्था नहीं, बल्कि राजनीति है।


-संजय राउत, राज्यसभा सांसद शिवसेना यूबीटी, महाकुंभ भगदड़ पर सोर्सः मीडिया रिपोर्ट

योगी ने मरने वालों की संख्या नहीं बताई, कहा- हालात नियंत्रण में

इलाहाबाद महाकुंभ में इतनी बड़ी घटना हो गई और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मरने वालों की सही संख्या तक नहीं बता रहे हैं। उन्होंने बुधवार को एक बयान में कहा- स्थिति "नियंत्रण में" है और 'मौनी अमावस्या' के अवसर पर 'अमृत स्नान' (शाही स्नान) भी फिर से शुरू हो गया है। योगी ने कहा- “घटना रात 1 से 2 बजे के बीच हुई। वहाँ बैरिकेड्स थे जिन्हें भक्तों ने पार करने की कोशिश की और घायल हो गए। हमारा पूरा प्रशासन घटनास्थल पर मौजूद है। बैरिकेड्स को पार करने की कोशिश में कुछ लोग गंभीर रूप से घायल हो गए हैं।” 

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि इस समय लगभग 10 करोड़ लोग प्रयागराज में हैं। संगम नोज पर जाने वाले तीर्थयात्रियों की भारी भीड़ है लेकिन प्रशासन वहां मौजूद है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी घटनास्थल पर नजर बनाए हुए हैं और उन्होंने स्थिति का जायजा लेने के लिए सुबह से मुझे चार बार फोन किया है। सीएम योगी ने कहा, गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी फोन किया है। योगी ने अफवाह फैलाने वालों को चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि संगम पर आने की जरूरत नहीं है, जिसे जहां गंगा नदी मिले, वहां स्नान कर लें।

'जिन श्रद्धालुओं ने अपने परिजनों को खोया'...:मोदी

एक तरफ मुख्यमंत्री योगी हैं जो श्रद्धालुओं की मौत की संख्या नहीं बता रहे हैं तो दूसरी तरफ मोदी ने मरने वालों के परिवारों से संवेदना जताई है। मोदी ने एक्स पर लिखा है- प्रयागराज महाकुंभ में हुआ हादसा अत्यंत दुखद है। इसमें जिन श्रद्धालुओं ने अपने परिजनों को खोया है, उनके प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं। इसके साथ ही मैं सभी घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं। स्थानीय प्रशासन पीड़ितों की हरसंभव मदद में जुटा हुआ है। इस सिलसिले में मैंने मुख्यमंत्री योगी जी से बातचीत की है और मैं लगातार राज्य सरकार के संपर्क में हूं। मोदी की तरह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी भगदड़ में मरने वालों के परिवारों से संवेदना जताई।

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क़मर वहीद नक़वी
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