महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे ने प्रयागराज में गंगा नदी के पानी पर टिप्पणी की है। उनका कहना है कि उस जल को मैं छू नहीं सकता, पीना तो दूर की बात है। उनकी इस टिप्पणी पर काफी विवाद हो रहा है।
क्या हिंदू त्योहारों को किसी खास एजेंडे के तहत प्रोपगेंडा के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है? जानिए इसके पीछे की सच्चाई और इससे जुड़े विवादों पर विश्लेषण।
महाकुंभ खत्म हो रहा है। भगदड़ में मरने वालों की सही संख्या योगी सरकार ने आजतक नहीं बताई। लेकिन योगी की टिप्पणी ने उन लोगों में गुस्सा भर दिया है, जो भगदड़ के बाद अपने परिजनों को वहां खोजने गये थे। वरिष्ठ पत्रकार पंकज श्रीवास्तव ने योगी की टिप्पणी के संदर्भ में इस मुद्दे को समझाने की कोशिश की है।
जानें कैसे अंग्रेज सरकार की पाबंदी के बावजूद पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कुंभ मेले में स्नान किया। यह ऐतिहासिक घटना भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और आस्था का प्रतीक बनी।
महाकुंभ प्रयागराज में पीएम मोदी के डुबकी लगाने के बाद इसकी चर्चा और बढ़ गई है। लेकिन जिस तरह से मोदी के इस स्नान को टीवी चैनलों ने पेश किया, उससे लग रहा था कि इससे पहले किसी और प्रधानमंत्री ने मानों यहां डुबकी न लगाई हो। वरिष्ठ पत्रकार ओंकारेश्वर पांडेय खंगाल रहे हैं कुंभ का इतिहासः
इलाहाबाद के अस्पतालों में चक्कर काटते, रेलवे स्टेशन पर बैठे थके-हारे लोग अभी भी आस में हैं कि शायद उनके अपने लौट आयें। कोई यह सवाल नहीं पूछ रहा कि हादसे के बाद बाबाओं के अखाड़ों ने श्रद्धालुओं को क्या राहत पहुंचाई। करोड़ों का प्रसाद बांटने वाले धनकुबेर ने क्या मदद की। स्तंभकार अपूर्वानंद की विचारोत्तेजक टिप्पणीः
महाकुंभ में बुधवार को भगदड़ की दूसरी घटना भी हुई थी। ऐसा दावा कुछ प्रत्यक्षदर्शियों और मीडिया रिपोर्टों में किया गया है। अगर यह घटना सच है तो आंकड़ा निश्चित रूप से बढ़ेगा। लेकिन यूपी सरकार ने दूसरी भगदड़ की पुष्टि अभी तक नहीं की है। लेकिन सरकार पुष्टि करे न करे, सच छिप नहीं सकता, खासकर जो सबूत मौजूद हों।
महाकुंभ 2025 में हुई भगदड़ में कितनी मौतें हुईं। यूपी सरकार ने यह संख्या 30 बताई है। लेकिन मौके पर मौजूद एक रिपोर्टर ने 40 की संख्या बताई है। हालांकि कई लोग तो इसे 50 से भी ऊपर बता रहे हैं। सैकड़ों लापता लोगों का अभी भी पता नहीं है। कई चश्मदीदों ने और भी तथ्य बताये हैं। कई वीडियो दहलाने वाले हैं।
महाकुंभ इलाहाबाद में 1954 में भी भगदड़ मची थी। 800 लोग मारे गए थे। पीएम मोदी ने 2019 में एक रैली में नेहरू को 1954 में हुई भगदड़ के लिए जिम्मेदार ठहराया था और आरोप लगाया था कि उस समय की खबरों को दबा दिया गया। क्या आज मोदी अपने उस आरोप को याद करना चाहेंगे, जब मौत की सही संख्या छिपाई जा रही है।
महाकुंभ भगदड़ पर केंद्र की मोदी सरकार और यूपी की योगी सरकार बुरी तरह घिर गई है। तमाम विपक्षी दलों ने सरकारी बदइंतजामी, वीवीआईपी आवाजाही को इस घटना के लिए जिम्मेदार ठहराया है। यह भी जानिये कि योगी और मोदी ने क्या फरमाया हैः
महाकुंभ प्रयागराज में कम से कम 15 मौतों की खबर आ रही है। लेकिन इन मौतों के लिए जिम्मेदार कौन है। यह सवाल पूछा जाना इस समय वाजिब है। क्या इन मौतों के लिए वो वीआईपी जिम्मेदार हैं, जिनकी सेवा में योगी आदित्यनाथ सरकार जुटी हुई थी।
महाकुंभ में बुधवार तड़के हुई भगदड़ को लेकर तमाम भयावह कहानियां प्रत्यक्षदर्शी बता रहे हैं। हर एक की अपनी कहानी है। कोई कह रहा है कि वो 10 लोग थे, अब सिर्फ दो बचे हैं। शेष 8 कहां गये, पता नहीं।
प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान भगदड़ से बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो गई। मौके पर भयावह दृश्य हैं। बदइंतजामी चारों तरफ नजर आ रही है। जानिए, प्रशासन ने ताज़ा अपडेट क्या दिया है।
लोकसभा चुनाव में यूपी में बीजेपी को झटका लगने और निषाद पार्टी व अपना दल (सोनेलाल) के बीजेपी से नाराजगी के संकेत के बीच बीजेपी अब क्या रणनीति अपना रही है? जानिए, इसने महाकुंभ में दलितों व ओबीसी को लेकर क्या रणनीति बनाई।