संघ परिवार का हिंदू राष्ट्र का एजेंडा तरह-तरह के नैरेटिव को अलग-अलग तरह से बुनने और उन्हें अलग-अलग मंचों से प्रस्तुत करने पर आधारित है। संघ परिवार के लिए धार्मिक त्यौहार अपने एजेंडा को आगे बढ़ाने के अवसर होते हैं। वह देवी-देवताओं का इस्तेमाल भी अपने लिए लाभकारी सामाजिक-राजनैतिक सन्देश देने के लिए करता है।
प्रोपगेंडा के लिए हिंदू त्योहारों का इस्तेमाल करने की कोशिश?
- विचार
- |
- राम पुनियानी
- |
- 9 Mar, 2025

राम पुनियानी
क्या हिंदू त्योहारों को किसी खास एजेंडे के तहत प्रोपगेंडा के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है? जानिए इसके पीछे की सच्चाई और इससे जुड़े विवादों पर विश्लेषण।
हाल में समाप्त हुआ कुंभ मेला धार्मिक आयोजन की जगह राष्ट्रीय समारोह बन गया। इस बार के कुंभ में एक नई बात यह थी कि संस्कृति एवं विकास के वाहक के रूप में कुम्भ की जबरदस्त मार्केटिंग की गयी। इस आयोजन को हिन्दू धर्म का दुनिया का सबसे बड़ा आयोजन बताया गया। इतने बड़े आयोजन में श्रद्धालुओं के रहने, साफ़-सफ़ाई और परिवहन का इंतज़ाम करना तो सरकार की ज़िम्मेदारी होती है। लेकिन इस बार देखा गया कि सरकार इस आयोजन का मानो हिस्सा बन गयी। सत्ताधारी दल से जुड़े संगठनों जैसे विश्व हिंदू परिषद, धर्मसंसद और व्यक्तिगत तौर पर साधु-संतों आदि ने इस मेले का इस्तेमाल हिंदू राष्ट्रवादी एजेंडे के विभिन्न हिस्सों के प्रचार-प्रसार और मुसलमानों के प्रति नफ़रत फैलाने के लिए किया।