दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति ने एक कार्यक्रम में श्रोताओं को तटस्थता का त्याग कर राष्ट्र हित के पक्ष में काम करने के बारे में सोचने के लिए कहा। कार्यक्रम ‘मोदी VS ख़ान मार्केट गैंग’ नामक किताब के लोकार्पण का था। इस किताब के लेखक को पत्रकार कहा जाता है। मंच पर कुलपति के अलावा भारतीय जनता पार्टी के पदाधिकारी जिन्हें नेता कहा जाता है, मौजूद थे। श्रोताओं में कॉलेजों के प्राचार्य, अध्यापक और छात्र बड़ी संख्या में मौजूद थे। विश्वविद्यालय के कुछ अन्य अधिकारी भी। हॉल खचाखच भरा था।
किसी किताब के लोकार्पण समारोह में इतनी बड़ी संख्या में अध्यापक और छात्र उमड़ कर आएँ, इससे अधिक प्रसन्नता की बात किसी भी विश्वविद्यालय के लिए और क्या हो सकती है।वह भी जब लेखक अपने क्षेत्र में प्रतिष्ठित न हो और किताब के बारे में शायद ही कोई जानता हो। प्राचार्यों की पुस्तकों में ऐसी रुचि का प्रदर्शन देखकर विश्वविद्यालय को जाननेवाले व्यक्ति को सुखद आघात लग सकता है। छात्र भी बौद्धिक चर्चा के प्रति इस प्रकार उत्सुक हों, यह किसी भी शिक्षा संस्थान के लिए शुभ ही है।