“मैंने सुना कि चूँकि उनका विषय कल्याण पत्रिका से संबंधित है, उन्हें चुना नहीं जाएगा।” पीएच डी के लिए दाख़िले के इंटरव्यू ख़त्म हो जाने के बाद एक छात्र ने सवाल किया। वह अपने मित्र के लिए चिंतित था जिसने कल्याण पत्रिका से जुड़ा विषय शोध के लिए चुना था। नतीजा निकल जाने के बाद उसने आकर कुछ संकुचित भाव से कहा, उनका दाख़िला हो गया है। स्वर में चिंता और शिकायत अब नहीं थी।
क्या पाँचजन्य पर शोध हो सकता है ?
- वक़्त-बेवक़्त
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- 25 Sep, 2023

क्या शोध अब विचारधारा के हिसाब से हो रहे हैं। क्या शिक्षक की विचारधारा के अनुकूल शोध हो रहे हैं। तमाम विश्वविद्यालयों में शोध भी अब विचारधारा की वस्तु हो गए हैं। जिम्मेदारी शिक्षकों पर ज्यादा है कि वो छात्र शोध का विषय चुनने की आजादी दें। लेकिन अमृतकाल में शोध भी विचारधारा से बंध गए हैं। क्या जमाना आ गया है। स्तंभकार अपूर्वानंद का यह लेख शोध पर एक शोध की तरह है, पढ़िएः