दिल्ली विश्वविद्यालय के इंद्रप्रस्थ कॉलेज के समाजशास्त्र विभाग में 5 अध्यापकों को विभाग की स्थापना के समय से, यानी तक़रीबन 5 साल तक लगातार काम करने के बाद बाहर कर दिया गया है। ध्यान रहे, इन अध्यापकों ने 2018 में विभाग की स्थापना की थी। स्थायी अध्यापकों को मिलनेवाली सुरक्षा के बिना बरसों विभाग चलाया। कॉलेज ने इन्हें इतने वर्षों तक स्थायी नहीं किया। क़ानूनी तरीक़े से ख़ुद को बचाने के लिए हर सत्र में एक दिन का अंतर देकर इनसे काम लिया जाता रहा। एक प्रकार से वे थे स्थायी ही। लेकिन उन्हें कभी भी निकाल दिया जा सकता था। और उन्हें निकाल ही दिया गया।
दो प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों की मौत हो रही है!
- वक़्त-बेवक़्त
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- 2 Oct, 2023

देश में उच्च शिक्षा में टीचरों के साथ मजाक हो रहा है। तमाम विश्वविद्यालयों में तमाम शिक्षक वर्षों से अस्थायी चल रहे हैं और फिर एक दिन उन्हें निकाल बाहर कर दिया जाता है। दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों में अस्थायी शिक्षक हटाए जा रहे हैं। डीयू में बीस-बीस साल तक पढ़ाने वालों को बाहर कर दिया गया। अस्थायीकरण ऐसी समस्या है कि सामने वाला वर्षों तक सिर्फ स्थायी होने के लिए जूझता रहे। ऐसे में शिक्षक क्या पढ़ाएंगे, ऐसे में उसे तो बस उन लोगों को खुश रखना है, जिनके हाथों में उसके स्थायित्व की डोर है। स्तंभकार अपूर्वानंद का कहना है कि इन वजहों से देश के दो प्रमुख विश्वविद्यालय डीयू और जेएनयू मर रहे हैं...