ग़ज़ा पट्टी पर इज़राइली हमले में तकरीबन 230 फिलीस्तीनी मारे गए हैं। कोई 2000 जख्मी हुए हैं। ये सब हमास के लड़ाके नहीं हैं। औरतें और बच्चे भी हैं। कई रिहायशी इमारतों को जमींदोज कर दिया गया है। जब तक यह टिप्पणी छपेगी, यह संख्या कई गुना बढ़ जाएगी। लेकिन सभ्य विश्व ने इस पर कोई चिंता जाहिर नहीं की है। इज़राइल को नहीं कहा है कि वह अपने हाथ रोके।
हमास की हिंसा जायज नहीं, पर दशकों से इज़राइल क्या कर रहा है?
- वक़्त-बेवक़्त
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- 9 Oct, 2023

इजराइल-हमास युद्ध पर जिस तरह की प्रतिक्रिया अंतरराष्ट्रीय तौर पर अब मिल रही है क्या दशकों से मिलती रही है? पिछले एक दशक में 30 हज़ार बच्चों सहित डेढ़ लाख लोगों की मौत मुद्दे क्यों नहीं बनी?
‘इज़राइल को अपनी हिफाजत करने का अधिकार है और हम उसके इस अधिकार के साथ हैं’: इस आशय का बयान अमेरिका से लेकर यूरोप तक के देश दे रहे हैं। इज़राइल के इस हमले की वाजिब वजह है, यह कहा जा रहा है। ‘हमास’ ने इज़राइल पर हमला किया है, उसी का तो यह जवाब है! अगर मसले को सिर्फ दो दिनों के संदर्भ में देखें तो बात ठीक मालूम पड़ती है। ‘हमास’ ने इज़राइल पर न सिर्फ रॉकेट दागे, बल्कि उसके लड़ाके इज़राइली सीमा में सड़क के रास्ते और हैंड ग्लाइडर और पैराशूट के सहारे घुस आए। उन्होंने इज़राइली ठिकानों पर बमबारी की। इज़राइली फौजियों को मार गिराया और उन्हें गिरफ्तार भी कर लिया। उन्होंने सामान्य इज़राइली नागरिकों को भी मारा और पकड़ लिया। इनमें औरतें और बच्चे भी हैं। इज़राइल में अफरा-तफ़री मच गई। पहली बार यह दृश्य दुनिया ने देखा कि इज़राइली, जिन्होंने फिलीस्तीनी घरों और ज़मीन पर कब्ज़ा कर लिया है, अपनी जान बचाने को भाग रहे थे। आम तौर पर हम फिलीस्तीनी लोगों को इज़राइली पुलिस और फौज के हमलों से बचने के लिए भागते हुए देखते रहे हैं। इज़राइली औरतों और बच्चों पर हिंसा को किसी तरह जायज़ नहीं कहा जा सकता। कोई भी सभ्य समाज बदले के नाम पर भी इसकी इजाज़त नहीं दे सकता। इज़राइल फ़िलीस्तीनियों के साथ यही करता रहा है, इसलिए हमास भी उसके लोगों के साथ वही करे, यह तर्क नहीं चल सकता।