चुनाव हरियाणा और जम्मू कश्मीर में हुए हैं। इन पंक्तियों के लेखक की,  परोक्ष रूप से कार्यस्थली इन दोनों प्रांतों में नहीं हैं, लेकिन ये दोनों प्रान्त उस देश का अभिन्न अंग हैं, जो मेरे जैसे करोड़ों साधारण लोगों की  साँसों में रचा बसा है। जो हमारी पहचान है, हमारा मान है और जिसके राजनीतिक और आर्थिक तापमान के साथ इस देश के आम और लगभग असहाय हो चुके एक ऐसे तबके की धड़कनों की  रफ़्तार तय होती है, जिसकी अपने समूचे व्यक्तित्व से भारतीय होने या देश का एक अधिकृत नागरिक होने के बावजूद लगता है अब  कोई औकात बची नहीं है।