राष्ट्र और इंसान की जीवन अवधि अमूमन अलग-अलग होती है। बावजूद इसके आज़ादी के 75 वर्ष के पास पहुँचे भारत राष्ट्र में अल्जाइमर रोग के लक्षण दिखने शुरू हो गए हैं जो 75 वर्ष के इंसान में भी नहीं दिखता। उम्र से पहले बूढ़े होते भारतीय राष्ट्र में दिखते इस जनतांत्रिक रोग को लोकतांत्रिक अल्जाइमर ही कहा जा सकता है।
क्या इस देश के लोकतंत्र को अल्जाइमर रोग हो गया है?
- पाठकों के विचार
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- 14 Apr, 2021

बनारस के सिविल जज आशुतोष तिवारी द्वारा विजय शंकर रस्तोगी की याचिका पर काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मसजिद के संदर्भ में ASI सर्वे का आदेश न्यायपालकीय अल्जाइमर का ताज़ा उदाहरण है।
लोकतांत्रिक अल्जाइमर के लक्षण भारतीय जनमानस में पहली बार 1980 के आम चुनाव में दिखा था जब उसने इंदिरा गांधी के 21 महीनों के आपातकाल को भुला वापस उन्हें प्रधानमंत्री पद पर आसीन किया था। लोकतांत्रिक संस्थाओं और सोच की हत्या जिस तरह से आपातकाल में की गई थी उसकी माफ़ी सिर्फ़ लोकतांत्रिक अल्जाइमर से ग्रस्त राष्ट्र का जनमानस ही दे सकता था।