आज़ादी से पहले भारत में राजतांत्रिक व्यवस्था थी। राजा थे और प्रजा थी। राजतंत्र बुरा होता है, गणतांत्रिक व्यवस्था सर्वश्रेष्ठ। यही सोचकर हमने आज़ाद भारत का संविधान बनाया। 26 जनवरी, 1950 को भारत, संसदीय गणतंत्र हो गया। आज हम भारत को दुनिया का सबसे बड़ा गणतंत्र बताते हुए गौरव का अनुभव करते हैं। प्रश्न है कि यदि गणतंत्र, सचमुच गण यानी लोगों की, लोगों के द्वारा, लोगों के हित में संचालित व्यवस्था है, तो फिर दुनिया के तमाम गणतांत्रिक देशों के नागरिकों को अपने साझा हक़ूक व हितों के लिए आंदोलन क्यों करने पड़ रहे हैं?