देश का साधन-संपन्न मीडिया जो हमें दिखाता है और देश का सोशल मीडिया जो हमें समझाता है, इसके पीछे किसको सही समझें, किस के दावे या प्रस्तावना पर भरोसा करें।
उत्तर प्रदेश के अमेठी में स्थित संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल का लाइसेंस यूपी स्वास्थ्य विभाग ने निलंबित कर दिया है। इसके पीछे कारण अस्पताल में भर्ती एक 22 वर्षीय महिला मरीज की चिकित्सीय लापरवाही के कारण हुई मौत बताया जा रहा है।
चुनावी मौसम में हर माल बिक जाता है, शर्त एक ही है की आपके पास वादों की पैकिंग आकर्षक हो। सियासत के कारोबार में सिर्फ पैकिंग और पैकेज से ही काम नहीं चलता । इसके लिए माननीय मोदी जी और माननीय राहुल गांधी जैसा सेल्समैन भी चाहिए। राकेश अचल दरअसल, क्या कहना चाहते हैं, पूरा लेख पढ़िए।
कर्नाटक में भाजपा की हार और 2024 आम चुनाव के मद्देनजर ऑर्गनाइजर में प्रकाशित लेख का विश्लेषण अभी भी जारी है। ऑर्गनाइजर को आरएसएस से जुड़ा अखबार माना जाता है और इनमें प्रकाशित लेख संघ की नीतियों को प्रदर्शित करते हैं। स्तंभकार पंकज श्रीवास्तव ने भी इसका विश्लेषण किया है। पढ़िएः
एनसीपी अध्यक्ष पर आज फैसला हो सकता है। पार्टी की बैठक 11 बजे बुलाई गई है। हर कोई शरद पवार को देख रहा है। सुप्रिया सुले के नाम पर लगभग सभी की सहमति बन गई है।
बंगाल और महाराष्ट्र की बोली, संस्कृति बेशक अलग-अलग हैं लेकिन दोनों राज्यों के दो नेताओं मुकुल रॉय और अजीत पवार की राजनीतिक मजबूरियां एक जैसी हैं और इसीलिए दोनों जब तब अपनी मूल पार्टी से बेवफाई करते रहते हैं।
भाजपा ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ जो विवाद खड़ा किया है, जल्द ही उस विवाद के गुब्बारे की हवा निकलने वाली है। राहुल के खिलाफ लाए गए तमाम प्रस्ताव ठंडे बस्ते में डाल दिए जाएंगे, क्योंकि भाजपा राहुल पर जितना आक्रामक होगी, राहुल का कद उतना ही बढ़ेगा। ऐसे में भाजपा ऐसा जोखिम भला क्यों लेगी।
डॉ. मनमोहन सिंह जब भारत के प्रधानमंत्री थे और पूरी दुनिया में उनकी आर्थिक नीतियों का डंका बज रहा था, तो उस समय भी बीजेपी ने उन्हें टारगेट किया था। बहुत निचले स्तर के आरोप लगाए थे। अब उसी अंदाज में राहुल गांधी को भी बीजेपी टारगेट कर रही है। लेकिन राहुल गांधी को देशद्रोही साबित कर पाना बीजेपी के लिए आसान नहीं होगा।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष से आगे बात करने और सदन की कार्यवाही शुरू करने की पेशकश की है। लेकिन उन्होंने नियम मानने की शर्त का भी उल्लेख किया है। अमित शाह की पेशकश का फोकस मुख्य रूप से कांग्रेस है। जानिए और क्या कहा अमित शाह नेः
विपक्षी एकता की तमाम कोशिशों के बीच टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी और सपा प्रमुख अखिलेश यादव अलग ही खिचड़ी पका रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार प्रेम कुमार बता रहे हैं कि तीसरे मोर्चे की सियासत जमीनी स्तर पर कामयाब नहीं होने वाली है। पढ़िए उनकी पूरी बातः
आम आदमी पार्टी चारों तरफ से आरोपों में घिर गई है। उसके दो महत्वपूर्ण नेता मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन जेल में हैं। ऐसे में करप्शन के खिलाफ जिस पार्टी को जनता सत्ता के केंद्र में लाई थी, उसके साथ जनता का कैसा सलूक होना चाहिए। पढ़िए, जाने-माने पत्रकार श्रवण गर्ग बता रहे हैं कि वो आप के साथ क्यों नहीं जुड़ेः
इस साल कई राज्यों में चुनाव है और उन्हें 2024 की रिहर्सल माना जा रहा है। लेकिन तमाम राज्यों में बीजेपी तमाम तरह के संकटों से जूझ रही है। पार्टी पर पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की पकड़ ढीली पड़ने की बातें कही जा रही हैं।
आम चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। सारी पार्टियां अपने-अपने अंदाज में तैयारी कर रही है। वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक विनोद अग्निहोत्री बता रहे हैं कि मंडल-कमंडल राजनीति का नया संस्करण कैसा होगा।