तेलंगाना के सीएम और तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) चीफ के. चंद्रशेखर राव शनिवार को दिल्ली में हैं। रविवार को वो चंडीगढ़ में होंगे। राव पिछले कई महीने से गैर बीजेपी, गैर कांग्रेस मोर्चा बनाने के लिए सक्रिय हैं। समाजवादी पार्टी चीफ अखिलेश यादव ने शनिवार को टीआरएस चीफ से दिल्ली में मुलाकात की। इन दोनों की पिछली मुलाकात 2018 में भी इसी मुद्दे पर हुई थी। लंबा वक्त बीत चुका है लेकिन टीआरएस चीफ का मोर्चा नहीं बना। एनसीपी चीफ शरद पवार का कहना है कि कांग्रेस के बिना विपक्ष का कोई मोर्चा नहीं बन सकता। विपक्षी नेताओं में फिलहाल शरद पवार सबसे वरिष्ठ नेता हैं।
चंद्रशेखर राव ने अपने पिछले दौरे में पश्चिम बंगाल की सीएम और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी से मुलाकात की थी। उसके बाद वो महाराष्ट्र के सीएम और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से मिले। ठाकरे तो हैदराबाद भी पहुंचे और उनका वहां जबरदस्त स्वागत हुआ। के. चंद्रशेखर राव अब सपा नेता अखिलेश यादव, आम आदमी पार्टी प्रमुख अरविन्द केजरीवाल को भी टटोल रहे हैं। दरअसल, टीआरसी चीफ पीएम मोदी से बहुत नाराज हैं और उन्होंने बीजेपी को हराने का संकल्प लिया है।
अगले एक पखवाड़े में के. चंद्रशेखर राव आप, टीएमसी और जनता दल (एस) के नेताओं से मुलाकात करेंगे। 11 अप्रैल को तेलंगाना के मंत्रियों के साथ एक दिवसीय धरने के दौरान, राव ने कहा था कि वह हर गैर बीजेपी दल को एक साथ लाएंगे। उन्होंने यह भी कहा था कि वह आगामी राष्ट्रपति चुनावों पर विपक्षी दलों के साथ बातचीत शुरू करने के लिए दिल्ली वापस आएंगे। उसी क्रम में अब वो मुलाकात कर रहे हैं। अखिलेश यादव से बातचीत के बाद वो शनिवार शाम को दिल्ली में मोहल्ला क्लिनिक देखने जाएंगे।
अधपकी खिचड़ी
टीआरएस चीफ हर बार दौरे पर निकलते हैं या नेताओं से मिलते हैं लेकिन खिचड़ी अधपकी रह जाती है। मसलन के. चंद्रशेखर राव जब मोर्चे में सीपीएम को लाने की बात करते हैं तो ममता बिदक जाती है। उद्धव ठाकरे और शरद पवार बिना कांग्रेस किसी मोर्चे में शामिल नहीं होना चाहते, क्योंकि महाराष्ट्र में उनकी सरकार पर संकट आ सकता है। इसी तरह सपा के अखिलेश यादव आम आदमी पार्टी को लेकर काफी सजग हैं। यूपी में आप लगातार कोशिश कर रही है और उसने कई जिलों में अपना संगठन भी बना लिया है। पंजाब में सरकार बनने के बाद टीआरएस चीफ अब आम आदमी पार्टी को अपने मोर्चे में जरूर लेना चाहते हैं। के. चंद्रशेखर राव के गैर बीजेपी, गैर कांग्रेस विरोधी मोर्चे में कई विरोधाभास हैं, इसलिए राव की खिचड़ी हर बार अधपकी रह जाती है।
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