कोलकाता में ममता बनर्जी और अखिलेश यादव की मुलाकात के बाद क्या तीसरे मोर्चे का पुनर्जन्म होगा? क्या केसीआर जिस कोशिश में जुटे रहे हैं यह उसी की परिणति है? सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्षेत्रीय दलों का एक जुट होना क्या आम चुनाव में बीजेपी के लिए चुनौती है? कांग्रेस के लिए भी क्या यह चुनौती है?