विपक्षी एकता की तमाम कोशिशों के बीच टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी और सपा प्रमुख अखिलेश यादव अलग ही खिचड़ी पका रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार प्रेम कुमार बता रहे हैं कि तीसरे मोर्चे की सियासत जमीनी स्तर पर कामयाब नहीं होने वाली है। पढ़िए उनकी पूरी बातः
हाल तक ममता बनर्जी मोदी के ख़िलाफ़ देश में एक बड़ा चेहरा बन कर उभरी थीं और दो दिन में वह मोदी के साथ खड़ी हुई क्यों जान पड़ती हैं? क्या वह तीसरा मोर्चा बना पाएंगी?
एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा है कि बीजेपी से मुक़ाबला करने के लिए किसी वैकल्पिक मोर्चे के लिए कांग्रेस की ज़रूरत पड़ेगी। उन्होंने कहा है कि ऐसे मोर्चे के लिए कांग्रेस को नहीं छोड़ा जा सकता है।
सर्वेक्षण में 32.8 प्रतिशत लोगों ने कहा कि अगला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ही बनना चाहिए। इसके बाद राहुल गांधी का नाम है जो मोदी से काफी पीछे रह गए और जिन्हें 17.2 प्रतिशत लोगों ने पसंद किया।
प्रशांत किशोर का कहना है कि तीसरा-चौथा मोर्चा का फॉर्मूला पुराना पड़ चुका है तो फिर नया फॉर्मूला क्या होगा? कैसे बनेगा बीजेपी के विरोध में विपक्षी दलों का मोर्चा?
क्या तेलंगाना के मुख्यमंत्री और तेलंगाना राष्ट्र समिति के अध्यक्ष के. चन्द्रशेखर राव (केसीआर) एक बार फिर ग़ैर-बीजेपी, ग़ैर-कांग्रेस राष्ट्रीय मोर्चा बनाने की कोशिश में जुट गए हैं?
केंद्र में मोदी सरकार की वापसी नहीं हुई तो कांग्रेस और क्षेत्रीय दलों के बीच सरकार बनाने को लेकर जमकर जोर-आज़माइश होगी और प्रधानमंत्री पद की दौड़ में कई बड़े नाम होंगे।