वैसे तो फ़िलहाल भारत में जॉर्ज सोरोस के नाम पर बवाल मचा है, लेकिन यह कहानी भारत से जुड़ी नहीं है। जॉर्ज सोरोस का नाम एक और देश में जोर-शोर से उछाला जाता रहा है। यह देश है हंगरी। वही हंगरी जहाँ के सोरोस मूल निवासी हैं। इसी साल जब यूरोपीय संघ के चुनाव हुए तो हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओर्बन ने जॉर्ज सोरोस के नाम का ख़ूब इस्तेमाल किया। वह मानते रहे कि इनके नाम पर पक्के तौर पर चुनावी जीत हासिल होगी। तो सवाल है कि जॉर्ज सोरोस के नाम का इस्तेमाल किस रूप में हो कि वोट मिलें? अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, जवाबदेह सरकार और न्याय व समानता को बढ़ावा देने वाले जॉर्ज सोरोस के रूप में या फिर उनको एक ख़तरे के रूप में पेश किया जाए?
जॉर्ज सोरोस का नाम लो, झूठ व प्रोपगेंडा फैलाओ और सत्ता हथियाओ!
- विश्लेषण
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- 11 Dec, 2024
भारत में सत्तारूढ़ बीजेपी जॉर्ज सोरोस पर भारत के ख़िलाफ़ साज़िश रचने का आरोप लगा रही है और उसका कहना है कि कांग्रेस इसके लिए सोरोस की मदद ले रही है। जानिए, यूरोप में सोरोस के नाम का इस्तेमाल कैसे-कैसे हुआ है।

विक्टर ओर्बन ने दूसरा रास्ता चुना। उन्होंने जॉर्ज सोरोस को ख़तरा बताना शुरू किया। उन्होंने इसके लिए 'अटैक पॉलिटिक्स' यानी हमले की राजनीति का रास्ता चुना। यानी विरोधियों पर लगातार हमले करते रहें, झूठ व प्रोपगेंडा फैलाएँ और लोगों को विरोधियों का डर दिखाएँ। विक्टर ओर्बन ने ऐसा कर दो बार चुनाव जीते और सत्ता हथियाई। 'अटैक पॉलिटिक्स' बड़े क़रीने से सत्ता हथियाने का हथियार है जिसकी ईजाद दो लोगों ने की और उन्होंने कई देशों में इसका प्रयोग किया। इसराइल के मौजूदा प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस हथियार को ईज़ाद करने वाले दोनों लोगों की जोड़ी से पहली बार ओर्बन को मिलवाया था।