साहस का काम था जिसे राहुल गांधी ने कर दिखाया। पिछले पचहत्तर सालों में किसी भी पार्टी का बड़ा से बड़ा नेता यह काम नहीं कर पाया था। समस्या की जड़ तक पहुँचने के लिए शायद ज़रूरी भी हो गया था। राजधानी दिल्ली में सैंकड़ों (या हज़ारों?) की गिनती में उपस्थित सभी तरह के पत्रकारों के मान्यता प्राप्त प्रतिनिधियों से राहुल गांधी ने एक सवाल पूछ लिया और जो जवाब मिला उससे वे हतप्रभ रह गए। कल्पना की जा सकती है कि अगर वही सवाल संघ प्रमुख या प्रधानमंत्री (अगर वे राहुल की तरह प्रेस कांफ्रेंस करने का तय करें) कभी पूछ लें तो पत्रकार कितनी मुखरता से तो जवाब देंगे और प्रश्नकर्ताओं के चेहरों पर किस तरह की प्रतिक्रिया या चमक नज़र आएगी!
राहुल तो सरकार बदल सकते हैं, पर क्या मीडिया बदल पाएंगे?
- विचार
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- 15 Oct, 2023

जाति जनगणना के मुद्दे पर प्रेस कॉन्फ़्रेंस में राहुल गांधी ने हॉल में जमा पत्रकारों से क्यों पूछा कि उनमें कितने पिछड़ी जातियों के हैं?
जाति जनगणना के मुद्दे पर कांग्रेस संगठन द्वारा लिए गए फ़ैसलों की जानकारी देने के लिए बुलाई गई एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान राहुल गांधी के दिमाग़ में अचानक कुछ कौंधा और हॉल में जमा पत्रकारों से उन्होंने पूछ लिया कि उनमें कितने पिछड़ी जातियों के हैं? हॉल में सन्नाटा छा गया! किसी कोने से कोई आवाज़ नहीं प्रकट हुई। एक हाथ उठा भी पर वह व्यक्ति फोटोग्राफर था। राहुल गांधी ने उसे यह कहते हुए चुप कर दिया कि उनका सवाल पत्रकारों से है। इस सवाल-जवाब के बाद प्रेस कांफ्रेंस में ज़्यादा जान नहीं बची।