सत्ता के गर्भ में आकार ले रहे अज्ञात भय की किसी अपेक्षित घड़ी में जन्म लेने की प्रतीक्षा तो थी पर प्रसव-पीड़ा समय-पूर्व ही होती नज़र आ रही है! आश्चर्य यह है कि जनता भी आश्चर्यचकित नहीं है! उसके पीछे कारण भी हैं। ‘नोटबंदी’ और ‘लॉक डाउन’ जैसे अचानक से फटने वाले बादलों की आपदा से गुज़र जाने के बाद जनता भी ‘अनुभवी और जानकार’ बन गई है। जो कुछ भी चलता हुआ दिखाई दे रहा है वह ‘जो आगे हो सकता है ‘से अलग नहीं माना जा सकता। आगे होने वाला एक लंबे काल तक चल सकता है। आशंकाएं निर्मूल साबित हो जाएँ तो उससे ज़्यादा सुखद और क्या हो सकता है? लगता नहीं!
मोदी के तिलिस्म में राहुल ने सेंध लगा दी है, पीएम को पता है!
- विचार
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- 8 Oct, 2023

मोदी द्वारा इस दावे को लगातार दोहराते रहने के पीछे कि वे ही फिर से प्रधानमंत्री बनने वाले हैं, कोई तो अदृश्य ताक़त या मंत्र काम कर रहा होगा? राहुल गांधी की क्या रणनीति है?
‘न्यूज़ क्लिक’ जैसी छोटी सी कंपनी और कार्यक्रमों के बदले मानदेय के भुगतान के आधार पर उसके साथ जुड़े चार दर्जन पत्रकारों और अन्य लोगों से उनके घरों और पुलिस ठिकानों पर की गई पूछताछ के मामले को सिर्फ़ मीडिया की आज़ादी पर हमले तक ही सीमित करके ही नहीं देखा जाना चाहिए। इसे भी कोई संयोग नहीं माना जाना चाहिए कि ‘न्यूज़ क्लिक ‘ के ख़िलाफ़ हुई कार्रवाई के इर्द-गिर्द ही ‘आप’ सांसद संजय सिंह की गिरफ़्तारी किसी अन्य मामले में हो गई। अब भय व्यक्त किया जा रहा है कि आगे आने वाले दिनों में ऐसी ही कुछ और भी घटनाएँ सुनने-देखने और भोगने को मिल सकती हैं। ‘न्यूज़ क्लिक’ के ख़िलाफ़ दाखिल एफ़आईआर में कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं। ‘न्यूज़ क्लिक’ ने सभी आरोपों को बोगस करार दिया है।