यह गिनवाने का अभी कोई मतलब नहीं रह गया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के सनकी फ़ैसलों से भारत और दुनिया के शेयर बाजारों को कितना नुक़सान हुआ है। यह बताने का हल्का ही मतलब बचा है कि ट्रंप को राष्ट्रपति चुनने वाले अमेरिकी समाज के एक हिस्से को पछतावा हो रहा है और वह उनके फ़ैसलों के ख़िलाफ़ सड़क पर उतरा हुआ है। इनमें कोई ट्रम्प द्वारा अमेरिका को तोड़ने का काम करने का आरोप लगा रहा है तो कोई उनके पुतिन के रूप में ढल जाने का।