दो राज्यों के चुनाव को कांग्रेस के भविष्य के साथ नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी के राजनैतिक भविष्य के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा था। लोकसभा चुनाव ने देश की राजनीति में बदलाव की शुरुआत की थी और उसके परिणामों ने मोदी शाह के हावभाव और शैली को बदल दिया था- संसद और सरकार का स्वरूप तो बदल ही गया था। कहना न होगा कि हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के नतीजों ने बदलाव की यह प्रक्रिया थामी ही नहीं, उलटी है और संभव है कि कांग्रेस और विपक्ष की परेशानियां बढ़ती जाएं। जल्दी ही महराष्ट्र और झारखंड विधानसभा के चुनाव होने हैं और एक राष्ट्र एक चुनाव जैसे कई बड़े फैसले होने हैं। इस बीच काफी मामलों में सरकार ने अपने बढ़े हुए कदम रोके थे या उसके सहयोगी दलों ने उसे क़दम वापस खींचने पर मजबूर किया था। अगर आगे के कुछ और चुनाव में भाजपा इसी तरह का प्रदर्शन करती है तो मोदी जी को अपने पुराने रंग-ढंग में लौटने में ज़्यादा समय नहीं लगेगा। अपने फ़ैसलों और कार्यकाल, दोनों से वे रिकॉर्ड बनाने की तरफ़ बढ़ेंगे।
जीतती हुई बाजी भी कैसे हार गई कांग्रेस?
- विश्लेषण
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- 9 Oct, 2024

हरियाणा और जम्मू कश्मीर विधानसभाओं- दोनों चुनावों के परिणाम कांग्रेस के लिए क्या बड़ा झटका नहीं है? आख़िर ऐसे नतीजों के पीछे क्या वजह है?
और मात्र तीन- साढ़े तीन महीने की साढ़े साती काटकर उनका यह रूपांतरण महत्वपूर्ण होगा। लोकसभा के नतीजों का असर पूरी राजनीति पर हुआ और भाजपा या मोदी-शाह तो इसके केंद्र में ही थे। और इसका प्रभाव विधानसभा चुनाव पर भी हुआ। सबसे पहले तो महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव हरियाणा के साथ न कराके आगे के लिए टाले गए। जम्मू कश्मीर चुनाव अदालती आदेश के अनुसार हुए लेकिन भाजपा ने एक तरह से मैदान छोड़ दिया था-खासकर घाटी के इलाकों में। उसने बातों से कुछ हवाई किले बनाए, कुछ डमी उम्मीदवारों पर दांव लगाती लगी लेकिन उसने जम्मू में जोर लगाया जहां परिसीमन के बाद सीटें बढ़ गई थीं। एक दांव पाँच सदस्यों के मनोनयन का भी रखा गया।