अगर दिल्ली की तीनों सरकारें अर्थात केंद्र सरकार, राज्य सरकार और लाट साहब वाली तीसरी सरकार किसी सवाल पर एक ही दिशा में काम करने पर जुटें तो इसे ट्रिपल इंजन सरकार कहा जाए या नहीं , इस बात पर विवाद हो सकता है लेकिन अगर वे तीनों किसी बड़ी समस्या को निपटाने के सवाल पर सक्रिय हो तो सामान्य ढंग से खुश होना बनता है।
पुरानी गाड़ियों की डंपिंग आपदा या कमाई का अवसर?
- विचार
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- 15 Oct, 2024
कार को कबाड़ मानकर तोड़ना, गलाना और उसके मुट्ठी भर धातुओं का दोबारा इस्तेमाल करना ठीक है या किसी तरह उसमें इस्तेमाल हुई चीजों का तब तक अधिकतम इस्तेमाल किया जाए जब तक वे ज्यादा प्रदूषण फैलाकर हमारे लिए ख़तरा न बन जाएँ?

दिल्ली में प्रदूषण वाले मौसम की शुरुआत से पहले उसकी रोकथाम के नाम पर ऐसा ही हो रहा है। ऐसा हर साल होता है और स्वास्थ्य के नुकसान के साथ ही काफी सारे धन की बर्बादी को जान समझ लेने के बाद भी कहा जा सकता है कि कुछ मामलों में हल्का फरक आया है। पराली अर्थात धान की खेत में छोड़ी डंडियों या पुआल को वहीं जला देने से फैलने वाले धुँए की मात्रा और सघनता में कमी आई है। और कई कदम भी उठाने का प्रयास हुआ है। ऐसा सारे कदमों के लिए नहीं कह सकते पर बेतहाशा बढ़ती गाड़ियों से निकलने वाले धुँए को भी नुकसानदेह गिनना ऐसा ही कदम है जो कैंसर से लेकर न जाने कितनी बीमारियों का कारण माना जाता है।