त्योहार या किसी धार्मिक पर्व के क़रीब आते ही उत्तर भारत में ख़ासतौर पर मांसाहार और शाकाहार विवाद शुरू हो जाता है। पिछले दिनों दिल्ली के पटपड़गंज में बीजेपी विधायक ने नवरात्र के नाम पर मांस की दुकानें बंद कराईं, वहीं बंगाली समुदाय की बहुलता वाले सी.आर. पार्क में मछली विक्रेताओं की दुकान बंद कराने के लिए भगवा टीशर्ट धारी युवा धमकाते नज़र आये। यह सब धार्मिक मान्यता के सम्मान के नाम पर किया गया लेकिन क्या सचमुच हिंदू धर्म में मांसाहार की मनाही है?
राष्ट्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार सर्वेक्षण-5 के आँकड़ों के अनुसार, भारत में मांसाहारी भोजन करने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। 15-49 वर्ष की आयु वर्ग की कम से कम दो-तिहाई आबादी प्रतिदिन, साप्ताहिक या कभी-कभार मांस खाती है। यानी, भारत की 70-80% आबादी मांसाहारी है। कुछ राज्यों में यह आंकड़ा और भी चौंकाने वाला है। उदाहरण के लिए सर्वाधिक मांसाहार करने वाले दस राज्यों में नागालैंड में 99.8%, पश्चिम बंगाल में 99.3%, केरल में 99.1%, आंध्र प्रदेश में 98.25%, तमिलनाडु में 97.65%, ओडिशा में 97.35%, त्रिपुरा में 97%, मिजोरम में 96.5% और अरुणाचल प्रदेश में 96% आबादी मांसाहार करती है। वहीं सर्वाधिक शाकाहार की दृष्टि से राजस्थान में 74.9%, हरियाणा में 69%, गुजरात में 61%, पंजाब में 55%, मध्य प्रदेश में 50%, उत्तर प्रदेश में 47% , उत्तराखंड में 45% दिल्ली में 40%, छत्तीसगढ़ में 38% और महाराष्ट्र में 35% शाकाहारी हैं। यानी देश में बमुश्किल पाँच राज्य ही ऐसे हैं जिनमें माँसाहारियों की तादाद शाकाहारियों से कम है।