समय के साथ वैश्विक समाज ने अपनी खोजपरक चेतना विकसित की, तर्क-शक्ति को अदृश्य के खौफ से निकाल कर वैज्ञानिक धार दी और व्यक्ति और व्यक्ति के बीच हीं नहीं, व्यक्ति और अन्य प्राणियों के बीच स्थूल विभेद और शोषण को कम करना न्यायोचित बनाया। विश्व बंधुत्व से लेकर मार्क्सवाद के स्टेट सोशलिज्म (और अंततः राज्यविहीन समाज की परिकल्पना) समतामूलक अवधारणा और वर्तमान में कल्याणकारी राज्य और न्याय पद्धति को बदल दिया।

लेकिन हाल के कुछ वर्षों में दुनिया के कुछ शीर्ष पर बैठे नेताओं ने अतीत की, याने सैकड़ों साल पहले हुई घटनाओं को उभार कर किसी लक्षित वर्ग का उन्माद बढ़ाया। उस उन्माद से उपजे समर्थन से सत्ता हासिल की और उन्मादजनित तर्कहीनता को कुतर्क में बदलते हुए "तूने नहीं तो तेरे बाप ने पी होगी" सिंह-न्याय के जरिए मेमने को खाना शुरू किया। भारत में भारतीय जनता पार्टी का सत्ता में आना अगर उसका स्थूल और भद्दा स्वरूप है तो ट्रंप का मेक अमेरिका ग्रेट अगेन उसका परिष्कृत रूप।