झारखंड के विधायकों द्वारा मुख्यमंत्री चुन लिए जाने के बाद हेमंत सोरेन जब अपने शपथ ग्रहण समारोह का न्यौता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को देने दिल्ली आए तो कई लोगों को हैरानी हुई क्योंकि उनकी पिछली पारी में इसी जोड़ी ने उनका राज करना मुश्किल कर दिया था और आखिर में लंबी जेल भी काटने को मजबूर किया था। चुनावी लड़ाई में भी चंपाई सोरेन और सीता सोरेन जैसे क़रीबी लोगों को तोड़कर भाजपा ने अपनी राजनैतिक लड़ाई को काफी हद तक सोरेन परिवार के खिलाफ निजी खुंदक जैसा बना लिया था।
हेमंत सोरेन ने वो कर दिखाया जो शिबू सोरेन भी नहीं कर पाए थे!
- विचार
- |
- |
- 3 Dec, 2024

हेमंत सोरेन की झारखंड चुनाव जीतने से भी बड़ी सफलता क्या है? जानिए, अलग-अलग कबीलों में अब तक बंटे रहे झारखंड के आदिवासी समाज को लेकर उनका योगदान क्या रहा।
पर जो लोग हेमंत सोरेन और झारखंड के आम आदिवासियों का स्वभाव जानते थे उनके लिए यह न्यौता न तो महज औपचारिकता था ना ही भाजपा के जले पर नामक छिड़कने की कोशिश। न ही इसमें यह जताने का भाव था कि आपने जितना परेशान किया मुझे आदिवासियों और झारखण्डियों का उतना ही पक्का समर्थन मिला। बताना न होगा कि मोदीजी और शाह की अनुपस्थिति के बिना भी हेमंत सोरेन का शपथ ग्रहण समारोह ग्रैंड था और उन्होंने चुनावी वायदों को पूरा करने का भरोसा दिया।