विपक्षी कांग्रेस को ही नहीं, देश और समाज की चिंता करने वाले हर नागरिक को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मणिपुर से मुंह फेर लेने की आलोचना करने का अधिकार है। यह खास स्थिति अभी फिर से इसलिए भी आ गई है कि प्रधानमंत्री तो दुनिया भर में घूमकर रूस-यूक्रेन लड़ाई रुकवाने की पहल जैसे कार्यक्रम चलाने का दावा करते हैं और सोलह महीने से आंतरिक हिंसा से जूझ रहा मणिपुर एक बार फिर से भभक पड़ा है। हिंसा और मौत का तांडव तो चल ही रहा है पहली बार राजभवन और मुख्यमंत्री निवास की रखवाली भी मुश्किल होने लगी है। और बच्चे तो खुलकर आंदोलन पर उतरे हैं उनकी आड़ में बम और रॉकेट वाले आतंकी इरादों के लोग भी आ गए हैं और राजभवन पर भी निशाना साधा जाने लगा है। मुख्यमंत्री अपने यहां तैनात एजेंसियों की कमान अपने हाथ में मांग रहे हैं तो सरकार के लोग सुरक्षा की मांग करने लगे हैं। शासक दल के नेता और मंत्री-विधायक खास तौर से गुस्से का निशाना बन रहे हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री और गृह मंत्री अगर मुंह बंद रखें तो उनकी आलोचना होनी ही चाहिए। मणिपुर सरकार ने सारे स्कूल-कॉलेज बंद करने का आदेश दिया है लेकिन सारे बच्चे सड़कों पर जंग लड़ रहे हैं।
मणिपुर को राजनैतिक समाधान चाहिए, लाठी-गोली नहीं
- विचार
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- 29 Mar, 2025

मणिपुर में ताज़ा हिंसा शुरू होने और विरोध-प्रदर्शन के बाद इंफाल में कर्फ्यू लगा दिया गया। गृह मंत्रालय ने पूरे मणिपुर में पाँच दिनों के लिए इंटरनेट निलंबित कर दिया है। आख़िर ऐसी नौबत क्यों आई?
मणिपुर कोई अभी अभी इस मुश्किल स्थिति को नहीं झेल रहा है। यह स्थिति पिछले सोलह महीने से है। और हैरानी की बात यह है कि हिंसा, आगजनी, विस्थापन का इससे भी बुरा दौर झेलने से लेकर अभी तक प्रधानमंत्री को इस अभागे राज्य में जाने का और लोगों से बात करने का वक्त नहीं मिला है। विपक्ष ने जब संसद में बहुत हंगामा मचाया तब जाकर उन्होंने एक भाषण भर दिया लेकिन ऐसी कोई बड़ी पहल नहीं हुई है जिससे पूर्वोत्तर का यह राज्य शांत हो।