बिहार के चुनाव झमाझम आ गए लगते हैं। वहां चौथे या पाँचवें नंबर की पार्टी कांग्रेस भी तैयारियों के साथ मैदान में आती लगती है। बीजेपी, राजद, जदयू और भाकपा-माले की तैयारियां तो कब से चल रही हैं। बल्कि भाजपा की तैयारियाँ तो उसी दिन से शुरू लगती हैं जब नीतीश कुमार पाला बदलकर उसके साथ आ गए। बीजेपी ने एक और असंभव सा काम लोकसभा चुनाव में भी कर लिया था जदयू, जीतनराम मांझी और चिराग पासवान वाली एलजेपी के साथ सफलतापूर्वक गठबंधन बनाना और राज्य में भारी सफलता पाना। राजद ने भी कांग्रेस के साथ ही सारे वामपंथी दलों और मल्लाह पार्टी विकासशील भारत पार्टी को साथ लेकर चुनाव लड़ा। और अगर दम हो तो ऐसे भारी गठबंधन और दो ध्रुवीय लड़ाई के बीच में जीत हासिल की जा सकती है, यह पप्पू यादव ने दिखाया। गायक पवन सिंह ने बागी बनाकर कई सीटों पर असर डाला।
बिहार चुनाव: क्या एक और मंडल लहर आने को है?
- विश्लेषण
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- अरविंद मोहन
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- 14 Mar, 2025


अरविंद मोहन
बिहार में वर्षों से आरक्षण राजनीति का केंद्र रहा है। भाजपा हिंदू एकता और ध्रुवीकरण की रणनीति अपना रही है, लेकिन क्या मंडल की नई लहर उसकी तैयारियों पर पानी फेर देगी?
पर सबको लगता है कि लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में फर्क होगा। और यह भी माना जा रहा है कि अगर नीतीश कुमार एक और पलटी न मारें और एनडीए एकजुट रहे तो उसकी जीत होनी चाहिए। पर पिछली बार तेजस्वी यादव ने जैसी और जितनी नज़दीकी टक्कर दी थी उसमें उनकी चुनौती को खारिज करना एक भूल हो सकती है।
अरविंद मोहन
अरविंद मोहन वरिष्ठ पत्रकार हैं और समसामयिक विषयों पर लिखते रहते हैं।