लोकतंत्र में चुनाव बहुत बड़ी चीज है। और अगर मामला चुनाव में नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी के मुख्य भूमिका में होने का हो तब चुनाव और भी बड़ी चीज बन जाती है। इसे देखना-समझना हो तो मौजूदा दो विधान सभाओं, महाराष्ट्र और झारखंड ही नहीं देश भर में हो रहे उपचुनावों को भी देखना चाहिए। कायदे से उप चुनावों का ज्यादा मतलब नहीं होता और कहीं सहानुभूति तो कहीं उम्मीदवार के दम के आधार पर निर्णय हो जाता है। लेकिन इस बार जो उप चुनाव उत्तर प्रदेश, बिहार और राजस्थान में हो रहे हैं उनमें भाजपा (और विपक्ष ने भी) ने सारा जोर लगाया है।
घुसपैठ या इसका राग अलाप कर कोई चुनाव जीत जाएगा?
- विश्लेषण
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- 29 Mar, 2025

झारखंड और महाराष्ट्र में विधानसभ चुनाव के लिए चुनाव प्रचार चल रहा है। लेकिन सवाल है कि आख़िर बीजेपी के नेतृत्व वाला गठबंधन बाजी मारेगा या फिर कांग्रेस के नेतृत्व वाला इंडिया गठबंधन?
बिहार में तो काफी समय से जमीनी स्तर पर जुटे प्रशांत किशोर के जन सुराज द्वारा उम्मीदवार उतारने से मुकाबले दिलचस्प बने हैं तो उत्तर प्रदेश और राजस्थान में भाजपा सचमुच युद्ध स्तर पर लगी हुई है। जाने कब से एक एक सीट पर कई-कई मंत्रियों को लगाया गया है और माना जा रहा है कि कुछ स्थानीय फ़ीड-बैक के बाद ही भाजपा से जुड़े लोगों ने चुनाव को एक हफ्ता टालने का प्रयास शुरू किया जिसे चुनाव आयोग ने मान लिया। वैसे, आयोग ने हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधान सभाओं के चुनाव के साथ ये उप चुनाव क्यों नहीं कराए यह भी एक बड़ा प्रश्न बना हुआ है। और महाराष्ट्र तथा झारखंड के चुनाव भी साथ क्यों नहीं कराए गए यह सवाल तो एक राष्ट्र, एक चुनाव के अभियान पर सवाल खड़े कर ही रहा है।