शेयर बाजार में चल रही मौजूदा दौर की गिरावट में बाजार के कुछ बड़े और कुशल खिलाड़ियों को कितने का नुक़सान हुआ है, यह हिसाब अब आने लगा है। कई का नुक़सान लगभग एक तिहाई तक का है पर कुल मिलाकर बाजार इतना नहीं गिरा है। लेकिन ऐसे शीर्ष वाले लोगों का नुक़सान अगर कुछ सौ करोड़ का है तो हमारे शेयर बाजारों के सारे निवेशकों का नुक़सान क़रीब दश लाख करोड़ रुपए से अधिक का हो चुका है और उसकी चर्चा कम है। यह पैसा आम लोगों का तो है ही, उनके बैंक जमा, प्राविडन्ट फंड, साझा कोशों और बीमा कंपनियों को चुकाए उनके प्रीमियम की रक़म का है। और आम तौर पर यह धन शेयर बाजार के विशेषज्ञों के साथ ही सरकार के इशारों पर बाजार में लगता है, उसे चढ़ाता और गिराता है।
डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों को लेकर ऐसी बेचैनी क्यों?
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- 18 Feb, 2025

मोदी और ट्रंप की आर्थिक नीतियां कैसे व्यापारिक हितों से जुड़ी हैं? जानिए भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों, निवेश और राजनीतिक प्रभाव का विश्लेषण।
इस बार का भूचाल अमेरिकी शासन के बदलाव से जुड़ा है अर्थात डोनाल्ड ट्रम्प के फिर से राष्ट्रपति बनने के बाद लिए उन फैसलों और आने वाले फैसलों की आशंका से इसका रिश्ता है जिसे वे अमेरिका को फिर से महान बनाने के अपने वायदे के हिसाब से ले रहे हैं या लेने वाले हैं। इस बीच हमारे रुपए को गोता लगाने से बचाने के लिए (फिर भी उसने अच्छी खासी गिरावट दर्ज की है) रिजर्व बैंक ने कितना दंड-प्राणायाम किया है वह अलग हिसाब है पर उसने हमारी गाढ़ी कमाई के हजारों करोड़ मूल्य के डॉलर बाजार में उतारे हैं। और मोदी राज की शुरुआत में पच्चीस हजार के रेट वाले सोना ने आज प्रति दस ग्राम नब्बे हजार का स्तर छूकर कितनों को रुलाया है, यह हिसाब भी आसानी से लगाया जा सकता है।