फ़िरोज़ाबाद में आख़िर बड़ी संख्या में मौतें क्यों हो रही हैं और उसे नियंत्रित क्यों नहीं किया जा सका है? क्या स्वास्थ्य की हालत इतनी ख़राब है और योगी सरकार कई हफ़्तों बाद भी स्थिति संभालने में सक्षम क्यों नहीं है?
ऐसे दौर में, जबकि योगी सरकार के विरुद्ध बीजेपी के भीतर और बाहर आम जनता में, असंतोष की अग्नि जल रही है तब क्या गड्ढे में धंसी कांग्रेस अपने भूत से कुछ सीखने की कोशिश कर रही है या अभी भी वह पुरानी गुत्थियों को सुलझाने में ही उलझी हुई है?
पश्चिम बंगाल चुनावों से पहले ही यूपी में 'एआईएमआईएम' ने अपनी चुनावी बिसात बिछानी शुरू कर दी थी। प्रदेश अध्यक्ष शौक़त अली ने मई के महीने में ही 100 सीटों पर चुनाव लड़ने के संकेत दे दिए थे।
इमरजेंसी को भारत एक ऐसे भयावह काल की तरह याद रखता है जिसने सभी संस्थाओं को विकृत करके भय के वातावरण का निर्माण किया था। लेकिन इमरजेंसी या इस तरह के हालात में मीडिया की क्या भूमिका है?
आपातकाल की 46वीं वर्षगाँठ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का छोटा सा ट्विटर संदेश ख़ासा दिलचस्प तो है ही राजनीतिकअंतर्विरोध की ज़बरदस्त गुत्थियों में उलझा हुआ भी है। उनकी यह टिप्पणी कश्मीर के संदर्भ में कैसे मायने रखता है?
आज़ादी के तत्काल बाद से ही यूपी की सत्ता के गलियारे ब्राह्मण नेतृत्व की चकाचौंध से जगमगाते रहे हैं। केंद्र में जवाहरलाल नेहरू और प्रदेश में गोविंदबल्लभ पंत ब्राह्मण दंड-ध्वजा को सहेजने वाले राज नेता के रूप प्रतिध्वनित होते रहे हैं।
आगरा में ऑक्सीजन की मॉकड्रिल के चलते हुई 22 कोरोना रोगियों की मृत्यु की अस्पताल संचालक की आत्मस्वीकृति का वीडियो वायरल होने के बाद क्या लीपापोती की कोशिश की जा रही है?
क्या बीजेपी आलाकमान योगी आदित्यनाथ के किसी प्रकार के दबाव में है? इस बात पर विचार करना दरअसल कड़क हिन्दू हृदय सम्राट दिखने वाले योगी को 'ओवर एस्टीमेट' किया जाना होगा।
यूपी में पंचायत चुनावों के बीच सवाल है कि पिछले 6 महीनों में उठ खड़े हुए देशव्यापी किसान आंदोलन का खूँटा पकड़कर विपक्ष इन पंचायत चुनावों में बीजेपी की चूलें उघाड़ने में कामयाब होगा या नहीं?
पिछले सप्ताह किरावली (आगरा) की विशाल किसान पंचायत में हज़ारों-हज़ार किसानों को सम्बोधित करते हुए किसान नेता राकेश टिकैत ने जो स्वर छेड़े वे मौजूदा किसान आंदोलन में नितांत नए राग के रूप में अंकित हो गए।
केंद्रीय मंत्री संजीव बालिया के साथ मुज़फ्फरनगर के सौरम गाँव में गए लोगों द्वारा स्थानीय ग्रामीणों के साथ की गयी मारपीट के बाद क्षेत्र में तनाव फैल गया है। घटना के 5 घंटे बाद तक स्थानीय ग्रामीणों की बहुत बड़ी भीड़ शाहपुर थाना घेर कर बैठी रही।