(कल के अंक से आगे...)कहने को जितिन प्रसाद तीन पीढ़ी पुराने कांग्रेसी हैं। उनके दादा ज्योतिप्रसाद शाहजहांपुर में स्वतन्त्रता पूर्व के कांग्रेस कार्यकर्ता थे। वह काउन्सिल और लोकल बॉडी में भी निर्वाचित हुए थे। जितिन के पिता जितेंद्र प्रसाद भी कांग्रेस में बड़ी हैसियत और बड़े पद तक पहुँचने वाले नेता के रूप में उभरे थे। यूँ तो वह कुछ समय के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राजीव गाँधी के राजनीतिक सचिव भी रहे हैं लेकिन 1990 के दशक के दौर में जब यूपी में कॉंग्रेस का लट्टू पूरी तरह से बुझने लगा था, कुछ समय के लिए जितेंद्र प्रसाद के राजनीतिक कैरियर का दीपक जल उठा था। वह किसी तरह पीवी नरसिंह राव के क़रीब आ गए। उनके प्रधानमंत्रित्व और पार्टी अध्यक्षता वाले काल में पहले वह पार्टी अध्यक्ष के राजनीतिक सचिव रहे और बाद में पीवी नरसिंहराव ने कुछ समय के लिए उन्हें उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद भी सौंपा था।
यूपी पार्ट टू : क्या ब्राह्मण इतनी आसानी से भाजपा को माफ़ कर देंगे!
- उत्तर प्रदेश
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- 13 Jun, 2021

2020 और 21 यूपी के राजनीतिक क्षितिज पर ब्राह्मणों की चिंताओं में डूबे साल साबित हुए। बीजेपी का आलाकमान इन्हें ज़्यादा गंभीरता से नहीं लेता यदि 2 अन्य घटनाएँ न घटित होतीं। पहला तो कोविड प्रबंधन में योगी प्रशासन का क्रूरता की सीमा तक असफल हो जाना और दूसरा था पंचायत चुनावों में काशी और अयोध्या जैसे हिंदुत्व के गढ़ों पर भाजपा का धराशायी होकर औंधे मुंह लुढ़क पड़ना।
इससे लेकिन प्रदेश में बड़ी सामाजिक हैसियत वाले क़द्दावर नेता के रूप में उनका आकलन करना राजनीतिक रूप से सही नहीं होगा। ग़ौरतलब है कि 1990 का दशक प्रदेश कांग्रेस के लिए राजनीतिक पतन का शुरुआती काल था।