फ़िरोज़ाबाद में आख़िर बड़ी संख्या में मौतें क्यों हो रही हैं और उसे नियंत्रित क्यों नहीं किया जा सका है? क्या स्वास्थ्य की हालत इतनी ख़राब है और योगी सरकार कई हफ़्तों बाद भी स्थिति संभालने में सक्षम क्यों नहीं है?
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों से पहले इसी मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जाट परिवार में जन्म लेने राजा महेंद्र प्रताप का नाम जप कर उन्होंने अलीगढ़ में एक नए राज्य विश्वविद्यालय की आधारशिला रख दी।
ऐसे दौर में, जबकि योगी सरकार के विरुद्ध बीजेपी के भीतर और बाहर आम जनता में, असंतोष की अग्नि जल रही है तब क्या गड्ढे में धंसी कांग्रेस अपने भूत से कुछ सीखने की कोशिश कर रही है या अभी भी वह पुरानी गुत्थियों को सुलझाने में ही उलझी हुई है?
पश्चिम बंगाल चुनावों से पहले ही यूपी में 'एआईएमआईएम' ने अपनी चुनावी बिसात बिछानी शुरू कर दी थी। प्रदेश अध्यक्ष शौक़त अली ने मई के महीने में ही 100 सीटों पर चुनाव लड़ने के संकेत दे दिए थे।
इमरजेंसी को भारत एक ऐसे भयावह काल की तरह याद रखता है जिसने सभी संस्थाओं को विकृत करके भय के वातावरण का निर्माण किया था। लेकिन इमरजेंसी या इस तरह के हालात में मीडिया की क्या भूमिका है?
आपातकाल की 46वीं वर्षगाँठ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का छोटा सा ट्विटर संदेश ख़ासा दिलचस्प तो है ही राजनीतिकअंतर्विरोध की ज़बरदस्त गुत्थियों में उलझा हुआ भी है। उनकी यह टिप्पणी कश्मीर के संदर्भ में कैसे मायने रखता है?
21-22 मार्च 1977 की मध्य रात्रि थी जब हमने आकाशवाणी पर उस समय के मशहूर समाचार वाचक अशोक वाजपेयी की तैरती आवाज़ में पहली बार सुना कि प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी रायबरेली से चुनाव हार गयी हैं।
आज़ादी के तत्काल बाद से ही यूपी की सत्ता के गलियारे ब्राह्मण नेतृत्व की चकाचौंध से जगमगाते रहे हैं। केंद्र में जवाहरलाल नेहरू और प्रदेश में गोविंदबल्लभ पंत ब्राह्मण दंड-ध्वजा को सहेजने वाले राज नेता के रूप प्रतिध्वनित होते रहे हैं।
आगरा में ऑक्सीजन की मॉकड्रिल के चलते हुई 22 कोरोना रोगियों की मृत्यु की अस्पताल संचालक की आत्मस्वीकृति का वीडियो वायरल होने के बाद क्या लीपापोती की कोशिश की जा रही है?
20 मई को होने वाले शपथ ग्रहण समारोह में भले ही वीना जॉर्ज केरल की नई स्वास्थ्य मंत्री होंगी लेकिन क्या वह पददलित हुई केरल की लोकप्रिय महिला नेता और निवर्तमान स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा का विकल्प बन सकेंगी?
यूपी में पंचायत चुनावों के बीच सवाल है कि पिछले 6 महीनों में उठ खड़े हुए देशव्यापी किसान आंदोलन का खूँटा पकड़कर विपक्ष इन पंचायत चुनावों में बीजेपी की चूलें उघाड़ने में कामयाब होगा या नहीं?
पिछले सप्ताह किरावली (आगरा) की विशाल किसान पंचायत में हज़ारों-हज़ार किसानों को सम्बोधित करते हुए किसान नेता राकेश टिकैत ने जो स्वर छेड़े वे मौजूदा किसान आंदोलन में नितांत नए राग के रूप में अंकित हो गए।
केंद्रीय मंत्री संजीव बालिया के साथ मुज़फ्फरनगर के सौरम गाँव में गए लोगों द्वारा स्थानीय ग्रामीणों के साथ की गयी मारपीट के बाद क्षेत्र में तनाव फैल गया है। घटना के 5 घंटे बाद तक स्थानीय ग्रामीणों की बहुत बड़ी भीड़ शाहपुर थाना घेर कर बैठी रही।
उत्तर प्रदेश के कासगंज ज़िले में मंगलवार को देर शाम हुई एक पुलिसकर्मी की नृशंस हत्या और एक दारोग़ा को ख़ून से तरबतर कर दिए जाने की घटना ने लोगों को गत वर्ष कानपुर के बिकरू कांड की याद ताज़ा कर दी।
हिंदी रंगकर्म का आकार जब निरंतर संकुचित होता जा रहा है और ज़रूरत उसके भीतर लोक नाट्य के नए-नए तत्वों और विचारों के समावेश की है, तब बंसी कौल का चले जाना एक वटवृक्ष के ढह जाने के समान है।
पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री सोमपाल शास्त्री का कहना है कि किसान आंदोलन पर जैसी सख्ती यूपी सरकार बरत रही है उसका दूसरा उदाहरण देश में और कहीं देखने को नहीं मिलता।
ज्यों-ज्यों किसान आंदोलन अपने चरम की ओर बढ़ रहा है, केंद्र सहित बीजेपी की राज्य सरकारों के प्रचार हमले बढ़ते ही जा रहे हैं। प्रचार की ये तोपें अमूमन तथ्य और वास्तविक आंकड़ों की जगह झूठ के बारूद और गोलों से भरी होती हैं।
हाथरस में हुई बलात्कार की लोमहर्षक घटना को झुठलाने की कोशिशों में की गयी कार्रवाई में मथुरा, गौतमबुद्ध नगर और हाथरस में तैनात एसटीएफ़ अपने ही जाल में फंस गई है।
क्या दिल्ली के बॉर्डर पर जन्म लेने वाले किसान धरने भी इक्कीसवीं सदी के चम्पारण में विकसित होने की दिशा में है? क्या यह धरना भी बीजेपी की घराना पूंजीवाद की राजनीति के ऊपर चढ़े हिन्दूवाद के मुलम्मे की चूलें हिला कर रख देने की तैयारी कर रहा है?
हाथरस की घटना के वे अकेले 4 अभियुक्त नहीं हैं जिनके ख़िलाफ़ चार्जशीट दायर हुई है बल्कि अभियुक्तों की ऐसी फ़ौज है जो शासन और प्रशासन के ऊंचे-नीचे पदों पर क़ाबिज़ है। सबसे बड़ा न्यायिक सवाल यह है कि इस लोगों के विरुद्ध चार्जशीट कौन दायर करेगा और कब?
उत्तर प्रदेश के 'लव जिहाद क़ानून' की कथित अभियुक्त मुरादाबाद की पिंकी की कोख यदि सचमुच सुरक्षित रह पाती है तो जन्म लेने के बाद उसका अबोध शिशु अपने और अपनी माँ के ऊपर हुए शारीरिक व मानसिक आघातों का हिसाब-किताब किससे माँगेगा?