(...गतांक से आगे)आपातकाल की 46वीं वर्षगाँठ पर (बीते शुक्रवार) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का छोटा सा ट्विटर संदेश ख़ासा दिलचस्प तो है ही राजनीतिक अंतर्विरोध की ज़बरदस्त गुत्थियों में उलझा हुआ भी है। अपने संदेश में वह लिखते हैं- ‘इमरजेंसी के भयावह दिनों को कभी नहीं भुलाया जा सकता...।’ कांग्रेस पर लोकतांत्रिक परम्पराओं के अपहरण का आरोप लगाते हुए मोदी आगे लिखते हैं- ‘...1975 से 1977 का समय संस्थाओं को सिलसिलेवार रूप से नष्ट किये जाने का युग था। आइए भारत की लोकतांत्रिक आत्मा को सुदृढ़ करने और संविधान प्रदत्त मूल्यों को जीवंत बनाने के लिए हर संभव प्रतिज्ञा लें।’