जैसे-जैसे उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनावों की तिथियाँ नज़दीक आती जा रही हैं वैसे-वैसे लोगों के बीच यह सवाल और भी गहराता जा रहा है कि पिछले 6 महीनों में उठ खड़े हुए देशव्यापी किसान आंदोलन का खूँटा पकड़कर विपक्ष इन पंचायत चुनावों में बीजेपी की चूलें उघाड़ने में कामयाब होगा या नहीं? क्या इसके लिए उसने कोई बड़ी रणनीति तैयार की है? क्या इसे लेकर उनके बीच कोई आपसी समझ बन सकी है? क्या प्रदेश के किसान नेताओं ने अपने आंदोलन की गर्मी को इन चुनावों में बीजेपी विरोध के लिए झोंक देने की कोई योजना गढ़ी है?