5 साल की मुश्किल भरी जेल-याफ़्ता ज़िंदगी से किसी तरह पिंड छुड़ा कर बीते शुक्रवार की शाम नजमा और नरेंद्र जब आगरा ज़िला जेल के दरवाज़े से बाहर आए तो उनके चेहरे सुख की बजाय दुःख की रेखाओं से घिरे थे। तब से लेकर क़रीब 60 घंटे तक वे दर-दर, गली-गली भटकते अल्पायु के अपने उन 2 मासूम बच्चों को तलाश रहे जो 5 साल पहले जेल में दाखिल होने के बाद से उनकी आँखों से ओझल हो गए थे। रिपोर्टों के अनुसार दोनों बच्चों को फ़िरोज़ाबाद और कानपुर में ढूँढा जा सका है।
अंतरधार्मिक शादी की सज़ा? निर्दोष थे और 5 साल जेल में रखा
- उत्तर प्रदेश
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- 24 Jan, 2021
यूपी में लव जिहाद के नाम पर युवा दंपत्ति की घेराबंदी करना कोई हालिया मसला नहीं। सालों पहले नरेंद्र और नजमा ने इसे तब महसूस किया था जब निरपराध होने के बावजूद उन्हें हत्या के एक झूठे मामले में अभियुक्त बनाकर जेल भेज दिया गया था।

यूपी में लव जिहाद के नाम पर युवा दंपत्ति की घेराबंदी करना कोई हालिया मसला नहीं। सालों पहले नरेंद्र और नजमा ने इसे तब महसूस किया था जब निरपराध होने के बावजूद उन्हें हत्या के एक झूठे मामले में अभियुक्त बनाकर जेल भेज दिया गया था। लव जिहाद का क़ानून नहीं था लिहाज़ा आईपीसी की धाराओं के अंतर्गत दूसरे जघन्य अपराधों में लपेटने के दौर तब भी चलते थे। पुलिस तब भी कठमुल्ला सोच वाली थी जब उनके आला अफ़सर अखिलेश यादव थे और अब भी, जबकि उनके हुक़्मरान योगी आदित्यनाथ हैं। सामाजिक घृणा की सज़ा तब भी युवा दंपत्ति को भुगतनी पड़ती थी और अब भी। इस राजनीतिक सोच का खामियाज़ा भुगतने को उनकी मासूम संतानें अभिशप्त रहीं।