5 साल की मुश्किल भरी जेल-याफ़्ता ज़िंदगी से किसी तरह पिंड छुड़ा कर बीते शुक्रवार की शाम नजमा और नरेंद्र जब आगरा ज़िला जेल के दरवाज़े से बाहर आए तो उनके चेहरे सुख की बजाय दुःख की रेखाओं से घिरे थे। तब से लेकर क़रीब 60 घंटे तक वे दर-दर, गली-गली भटकते अल्पायु के अपने उन 2 मासूम बच्चों को तलाश रहे जो 5 साल पहले जेल में दाखिल होने के बाद से उनकी आँखों से ओझल हो गए थे। रिपोर्टों के अनुसार दोनों बच्चों को फ़िरोज़ाबाद और कानपुर में ढूँढा जा सका है।