loader

यूपीः वक्फ कानून के खिलाफ प्रदर्शन करने पर योगी सरकार ने नोटिस थमाया

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में अधिकारियों ने वक्फ कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने वाले 300 लोगों को नोटिस जारी किया है। यह कार्रवाई तब हुई जब इन लोगों ने जुमे की नमाज के दौरान मस्जिदों में काली पट्टियाँ पहनकर विधेयक के खिलाफ अपना असंतोष व्यक्त किया था। पुलिस के एक अधिकारी ने रविवार, 6 अप्रैल 2025 को इसकी जानकारी दी। हर प्रदर्शनकारी से 2 लाख रुपये का बांड जमा करने की मांग की गई है। यह घटना हाल ही में संसद द्वारा पारित वक्फ (संशोधन) विधेयक के बाद हुई, जिसे लेकर देशभर में बहस छिड़ी हुई है।

पुलिस के अनुसार, जिन लोगों को नोटिस जारी किया गया है, उन्होंने मुजफ्फरनगर की विभिन्न मस्जिदों में शुक्रवार की नमाज के दौरान अपनी बाँहों पर काली पट्टियाँ बाँधी थीं। यह विरोध वक्फ कानून के खिलाफ था, जिसे संसद ने 4 अप्रैल 2025 की सुबह मंजूरी दी थी। इस विधेयक को लेकर 13 घंटे से अधिक की बहस के बाद राज्यसभा ने इसे स्वीकृति दी थी। प्रदर्शनकारियों की पहचान सीसीटीवी फुटेज के आधार पर की गई, जिसके बाद यह कार्रवाई शुरू हुई।

ताजा ख़बरें

सभी नामित व्यक्तियों को 16 अप्रैल, 2025 को अदालत में पेश होने के लिए बुलाया गया है, और प्रत्येक को 2 लाख रुपये का जमानत बांड जमा करना होगा। जिन लोगों को नोटिस जारी किया गया है, उनमें मदरसा महमूदिया के प्रिंसिपल नईम त्यागी भी शामिल हैं, जिन्होंने काली पट्टी पहनी ही नहीं थी।

इस कदम से लखनऊ, संभल, मेरठ, मुरादाबाद, अमरोहा, रामपुर, अलीगढ़, आगरा, बरेली, फिरोजाबाद और शामली समेत कई मुस्लिम बहुल जिलों में बेचैनी फैल गई है। बढ़ते तनाव के मद्देनजर प्रशासन ने भारी सुरक्षा व्यवस्था तैनात कर दी है और अलर्ट जारी कर दिया है।

मुजफ्फरनगर पुलिस ने ऐसे प्रदर्शनकारियों को नोटिस जारी कर 2 लाख रुपये का बांड जमा करने का निर्देश दिया है। पुलिस का कहना है कि यह कदम शांति बनाए रखने और कानून-व्यवस्था सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उठाया गया है। विरोध के तरीके को लेकर पुलिस का कहना है कि यह एक संगठित प्रयास था, जिसे गंभीरता से लिया गया।

मुजफ्फरनगर में हुए इस विरोध का मुख्य कारण वक्फ कानून में बदलावों को लेकर असंतोष है। प्रदर्शनकारियों का मानना है कि यह कानून वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने और सरकार को अधिक नियंत्रण देने की अनुमति देता है, जो उनके धार्मिक स्वायत्तता को प्रभावित कर सकता है। काली पट्टियाँ पहनना एक प्रतीकात्मक विरोध था, जिसके जरिए उन्होंने अपनी नाराजगी जाहिर की।

मुजफ्फरनगर के अधिकारियों ने इस विरोध को गंभीरता से लिया और तुरंत कार्रवाई शुरू की। सीसीटीवी फुटेज के जरिए प्रदर्शनकारियों की पहचान की गई और उन्हें नोटिस जारी किए गए। पुलिस का कहना है कि यह कदम कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए जरूरी था। नोटिस में प्रदर्शनकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि वे भविष्य में ऐसी गतिविधियों में शामिल न हों, और इसके लिए 2 लाख रुपये का बांड जमा करना अनिवार्य किया गया है।

इस घटना ने राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर व्यापक बहस को जन्म दिया है। विपक्षी दलों, विशेष रूप से कांग्रेस और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM), ने विधेयक को लेकर सरकार पर निशाना साधा है। AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, उनका तर्क है कि यह विधेयक इस्लाम की प्रथा का अभिन्न अंग होने वाली वक्फ व्यवस्था पर हमला है। वहीं, सरकार और भारतीय जनता पार्टी (BJP) का कहना है कि यह विधेयक गरीब मुस्लिमों, महिलाओं और समाज के कमजोर वर्गों के हित में है।

मुजफ्फरनगर में हुई इस घटना को लेकर स्थानीय स्तर पर भी तनाव देखा जा रहा है। कुछ लोग इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला मान रहे हैं, जबकि अन्य इसे कानून के उल्लंघन के रूप में देखते हैं।

मुजफ्फरनगर की घटना सरकार के इरादे पर सवाल उठाती है। धार्मिक आजादी, सरकारी नीतियों या कानून का विरोध शांतिपूर्ण तरीके से करना भी अब गैरकानूनी माना जाएगा। आने वाले दिनों में इस मामले का कानूनी और सामाजिक प्रभाव और गहरा हो सकता है, खासकर तब जब इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा रही है। सरकार संविधान के मौलिक अधिकारों को कदम कदम पर रौंद रही है।

उत्तर प्रदेश से और खबरें

वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 को संसद में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरण रिजिजू ने पेश किया था। सरकार का दावा है कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता लाने, जटिलताओं को दूर करने और तकनीक आधारित प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए लाया गया है। विधेयक को लोकसभा में 288-232 के मत से और राज्यसभा में 128-95 के मत से पारित किया गया। हालांकि, विपक्ष ने इसे मुस्लिम समुदाय के अधिकारों पर हमला करार दिया है और इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट में अभी तक ओवैसी के अलावा कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्लाह खान की याचिकाएं पहुंच चुकी हैं।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

उत्तर प्रदेश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें