आगरा के अरुण कुमार वाल्मीकि को मैं पिछले कई बरसों से देखता आ रहा था। लोहामंडी के पल छिंगा मोदी नाले के किनारे बसी वाल्मीकि बस्ती उसकी कई-कई पीढ़ियों का वास रही है। चोरी या किसी अन्य छोटी-बड़ी अपराध की किसी वारदात में कभी उसका नाम नहीं आया। उसके रिश्ते के भाई वीरू और संजय वाल्मीकि के बच्चे हमारे 'बस्ती के रंगमंच' में कला और संस्कृति का नियमित प्रशिक्षण लेने वालों में शामिल हैं। वह प्रायः वीरू वाल्मीकि के साथ मेरे यहाँ आता-जाता रहता था।