गैंगरीन की तरह सड़ती जा रही देश की अर्थव्यवस्था, निजीकरण की बाढ़ से जूझते जन असंतोष, सुरसा सी बढ़ती बेरोज़गारी, हाड़ तोड़ने वाली महंगाई और चकनाचूर हो चुका स्वास्थ्य सेवाओं का ढाँचा- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी के पास इन सभी बीमारियों से निबटने के 2 ही इलाज हैं। वे या तो देश को धार्मिक ध्रुवीकरण का इंजेक्शन देना जानते हैं या जातिवादी विभाजन का कैप्सूल खिलाना।