आंदोलनकर्ता किसानों, लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए लड़ने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं और पत्रकारों के विरुद्ध गंभीर और हमलावर रुख अपनाने वाली यूपी पुलिस अपराधियों और माफियाओं के सामने बेहद कमज़ोर साबित हो रही है। बीते मंगलवार को देर शाम पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कासगंज ज़िले में हुई एक पुलिसकर्मी की नृशंस हत्या और एक दारोग़ा को ख़ून से तरबतर कर दिए जाने की घटना ने लोगों को गत वर्ष कानपुर के बिकरू कांड की याद ताज़ा कर दी। इन पुलिस वालों ने क्षेत्र के शराब माफ़िया के यहाँ कुर्की पूर्व का नोटिस चस्पा करने की 'जुर्रत' की थी।