आंदोलनकर्ता किसानों, लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए लड़ने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं और पत्रकारों के विरुद्ध गंभीर और हमलावर रुख अपनाने वाली यूपी पुलिस अपराधियों और माफियाओं के सामने बेहद कमज़ोर साबित हो रही है। बीते मंगलवार को देर शाम पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कासगंज ज़िले में हुई एक पुलिसकर्मी की नृशंस हत्या और एक दारोग़ा को ख़ून से तरबतर कर दिए जाने की घटना ने लोगों को गत वर्ष कानपुर के बिकरू कांड की याद ताज़ा कर दी। इन पुलिस वालों ने क्षेत्र के शराब माफ़िया के यहाँ कुर्की पूर्व का नोटिस चस्पा करने की 'जुर्रत' की थी।
कासगंज मामला: अपराधियों के हौसले इतने बुलंद कैसे?
- उत्तर प्रदेश
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- 11 Feb, 2021

प्रतीकात्मक तसवीर।
जिस समाज में पुलिस का आचरण लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति घृणास्पद नहीं होगा उसी समाज में वह क्रूर अपराधियों से निबट पाने में आम जनता को अपना हमदर्द और भागीदार बना सकेगी और उसी समाज में अपराधों के ग्राफ़ पर अंकुश लगा सकेगी। सच्चे या झूठे एनकाउंटर इनका निदान नहीं। हो सकता है कि जल्द ही कासगंज के अभियुक्त भी 'एनकाउंटरों' की भेंट चढ़ जाएँ लेकिन उससे समस्या का हल नहीं होने वाला।