ऑक्सीजन की मॉकड्रिल के चलते हुई 22 कोरोना रोगियों की मृत्यु की अस्पताल संचालक की आत्मस्वीकृति का वीडियो वायरल होने से आगरा शहर में उठे नागरिकों के हंगामे के बाद आख़िरकार ज़िला प्रशासन को मजबूर होकर बुधवार की दोपहर अस्पताल को सीज़ करने के साथ-साथ उसका और उसके संचालक डॉक्टर का लाइसेंस निलंबित करना पड़ा। इससे पहले 3 दिन तक प्रशासन सहायक सीएमओ की अध्यक्षता में एक जाँच समिति बनाकर मामले को रफा दफा करने की कोशिश में लगा हुआ था।
आगरा: ऑक्सीजन मॉकड्रिल को क्यों छिपा रहा है प्रशासन?
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- 10 Jun, 2021

मीडिया के समक्ष संचालक डॉ. अरिंजय जैन ने कहा कि ‘जो मरीज 10 लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन फ्लो पर भर्ती थे उनके लिए ऑक्सीजन पर्याप्त नहीं थी। हमें 200 सिलिंडर की जगह 110 सिलिंडर मिले। मुझे मेरे वेंडर ने बताया कि मोदी नगर और अन्य जगह प्लांट ड्राई हो गए हैं। उसी बात को मैंने वीडियो में कहा है।’
बहरहाल, अब भी उसका सारा ज़ोर इस बात को साबित करने में है कि बीती 26/27 अप्रैल को (जैसा कि अस्पताल के संचालक ने अपने वीडियो में क़बूल किया है) न तो उक्त अस्पताल में किसी प्रकार का ऑक्सीजन का संकट था, न आगरा शहर में और न प्रदेश में। ऐसा उसे इसलिए साबित करना पड़ रहा है ताकि उन दिनों मुख्यमंत्री के उस वक्तव्य की भद्द न पिट जाय जिसमें योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में ऑक्सीजन के किसी प्रकार के संकट की संभावना से पूर्णतः इंकार किया था। फ़िलहाल प्रशासन ने अस्पताल और उसके मालिकों पर जो मुक़दमे दायर किये हैं उसमें उन 22 रोगियों की संख्या छुपाने का कोई ज़िक्र नहीं है जिनकी मृत्यु अस्पताल की लापरवाही के चलते 26/27 अप्रैल को हुई बल्कि ज़िला प्रशासन की सारी चिंता 7 जून 2021 को वायरल हुए उस वीडियो क्लिपिंग से है जिसने (प्रशासन की दृष्टि से) आगरा की शांति को भंग किया है।