बिहार विधानसभा चुनावों के तत्काल बाद उप्र की राजधानी लखनऊ के पुराने और परंपरागत इलाक़ों की तसवीर में बीते 6-7 महीनों में जो एक बड़ा बदलाव दिखा, वह था अच्छी-ख़ासी तादाद में लगने वाले बड़े-बड़े साइज़ के होर्डिंग्स का नज़र आना।
यूपी: क्या मुसलमान बीजेपी को हराने के लिए ओवैसी की शरण में जायेगा?
- उत्तर प्रदेश
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- 30 Jun, 2021

क्या ओवैसी सचमुच उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनावों में गंभीर हस्तक्षेप कर पाने की स्थिति में हैं? क्या वह मुसलिमों और ओम प्रकाश राजभर की मदद से और ओबीसी के एक छोटे से हिस्से के गठजोड़ के बूते एसपी और कांग्रेस को गंभीर नुक़सान पहुंचाने में क़ामयाब होंगे?
'आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तिहाद-उल मुसलमीन' (एआईएमआईएम) के रंग की हवा बनाने वाले ये बैनर या तो पार्टी में शामिल होने वाले नए-नए सियासी कारकूनों की तरफ से लगवाए गये थे या ऐसे लोगों के पार्टी में आने पर उनका इस्तकबाल करते हुए दूसरे लोगों की तरफ से।
“इन होर्डिंग से चाहे और कोई इंक़लाब होता दिखे या नहीं लेकिन इससे इतना ज़रूर साबित होता है कि लोग एआईएमआईएम के साथ अपनी पॉलीटिकल आइडेंटिटी को सार्वजनिक बनाने में ख़ासा फ़ख्र महसूस करने लगे हैं। इनमें कुछ वे लोग भी शामिल हैं, पिछले साल जो 'सीएएए' आंदोलन के बाद हुए पुलिसिया ज़ुल्म और दहशत की चोट से अभी तक ज़ख़्मी हैं।”
यह कहना है लखनऊ विश्वविद्यालय में मैनेजमेंट के प्राध्यापक डॉ० फ़ैज़ का। वह आगे कहते हैं कि "........शायद अपने पैराहन (वेषभूषा) को सियासी रंग में ढाल कर वे ज़्यादा महफ़ूज़ महसूस करें।"