नवंबर के अंतिम शनिवार को उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के हस्ताक्षरों से 'उप्र विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम 2020' जारी हुआ और रविवार को ही इस अध्यादेश के अंतर्गत पहला मुक़दमा बरेली में क़ायम हुआ। एडीजी (क़ानून व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने इसे प्रदेश में इस अध्यादेश से जुड़ा पहला केस बताया है लेकिन इसमें कुछ पेच हैं, जिसके चलते स्थानीय पुलिस की कार्रवाई संदेहास्पद बन जाती है।
यूपी: वाहवाही लूटने के लिए बना दिया लव जिहाद का केस?
- उत्तर प्रदेश
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- 2 Dec, 2020

'द हिंदू' को दिए गए अपने बयान में लड़की के भाई केसरपाल राठौर ने कहा कि उसके "पिता और परिजन स्वयं इस मामले को फिर से उभारने के पक्ष में नहीं थे।" उसका यह भी कहना है कि बहन के विवाह के बाद ओवैस और उसकी (बहन की) कोई बातचीत या मुलाक़ात नहीं हुई।
स्थानीय पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) संसार सिंह द्वारा संवाददाताओं को दिए गए वक्तव्य के अनुसार बरेली ज़िले के थाना देवरनिया के अंतर्गत एक गाँव के निवासी निवासी टीकाराम राठौर ने शिकायत दर्ज करवाई है कि उनका पड़ौसी ओवैस अहमद (24) उनकी 20 वर्षीय विवाहित बेटी को धर्मान्तरण और पुनर्विवाह की धमकी देता है।
यद्यपि टीकाराम राठौर के पुत्र ने अपने पिता की ओर से इस आशय की रिपोर्ट से इनकार किया है। उधर, ओवैस के परिजनों ने भी पुलिस पर फ़र्ज़ी मामला बनाकर उसे व्यर्थ में परेशान किये जाने का आरोप लगाया है।