सिखों की सर्वोच्च धार्मिक संस्था एसजीपीसी ने यूसीसी पर सख्त ऐतराज जताते हुए कहा है कि इसे लागू नहीं होने देंगे। अपने विरोध में अन्य अल्पसंख्यकों को भी शामिल करेंगे।
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल के संरक्षक प्रकाश सिंह बादल का मंगलवार को निधन हो गया। जानिए, पंजाब और देश की राजनीति में उनका योगदान कैसा रहा।
खालिस्तानी अलगाववादी अमृतपाल सिंह की गिरफ्तारी के बाद तरह-तरह के सवाल लोगों के मन में उठ रहे हैं। यह विवाद भी शुरू हो गया है कि उसने सरेंडर किया या गिरफ्तारी दी। पंजाब के वरिष्ठ पत्रकार अमरीक सिंह शुरू से ही अमृतपाल की गतिविधियों पर पैनी नजर रखे हुए थे। आज सुबह अमृतपाल की गिरफ्तारी के बाद अमरीक की रिपोर्टः
समूचे पंजाब और सरहदी सूबों में 'ऑपरेशन अमृतपाल सिंह' निरंतर जारी है लेकिन चौतरफा यह सवाल भी शिद्दत के साथ पूछा जा रहा है कि आखिर अमृतपाल सिंह है कहां? पंजाब से अमरीक की ताजतरीन रिपोर्टः
पंजाब में धार्मिक चोला पहनकर सामने आए अमृतपाल सिंह खालसा खुद का जनरैल सिंह भिंडरावाला का अवतार बता रहा है। वो भी भिंडरावाला की तरह खालिस्तान की बात कह रहा है। दोनों और क्या समानताएं हैं, बता रहे हैं पत्रकार अमरीकः
पंजाब के अजनाला में पुलिस दफ्तर पर कब्जा मामूली घटना नहीं है। इस सारे मामले में अमृतपाल सिंह खालसा को लेकर तमाम सवाल पूछे जा रहे हैं। किसी समय बीजेपी के साथ अकाली दल ने केंद्रीय एजेंसियों की भूमिका को लेकर सवाल किए हैं। पंजाब के घटनाक्रम पर पत्रकार अमरीक की नजर बनी हुई है। पेश है उनकी एक और रिपोर्टः
पंजाब में जो कुछ हो रहा है, उस पर तमाम जिम्मेदार नेताओं की चुप्पी चुभने वाली है। खुलेआम खालिस्तान की मांग पर पीएम मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, सीएम भगवंत मान का कुछ न बोलना देश को महंगा पड़ सकता है।
क्या पंजाब में इतिहास खुद को दोहराने की राह पर है? क्या खालिस्तानी फिर से अपनी जड़ मज़बूत कर रहे हैं और 'काले दौर' की वापसी का डर है? जानिए, अमृतसर में आज के हमले का संकेत क्या है।
हिन्दी सिनेमा का जाना-माना नाम कल रविवार को हमसे बिछड़ गया। शरद दत्त का जाना सिनेमाई पत्रकारिता के एक स्तंभ का जाना है। पत्रकार अमरीक ने शरद दत्त की जिन्दगी के अनछुए पहलुओं को देखने की कोशिश की है।
पंजाब को दिल्ली से नहीं चलाया जा सकता। यह जुमला हाल ही में राहुल गांधी ने उस समय कहा था जब वो पंजाब में भारत जोड़ो यात्रा के साथ पहुंचे थे। लेकिन हाल ही में जिस तरह अफसरों के तबादले किए गए, उससे यही तस्वीर उभरी कि पंजाब को दिल्ली से चलाया जा रहा है। पंजाब की आप सरकार स्वतंत्र निर्णय नहीं ले पा रही है।
विवादास्पद गुरमीत राम रहीम पर हरियाणा सरकार खासी मेहरबान रही है। अब राम रहीम को फिर से परोल मिल गई यानी वो जेल से बाहर रहेगा लेकिन हरियाणा सरकार ने उसके परोल का विरोध तक नहीं किया।
पंजाब की फिजा में फिर से जहर घोला जा रहा है। फिर से अलगाववाद की बातें चल पड़ी हैं। भिंडरावाले की पोशाक में एक नया चेहरा उभर रहा है अमृतपाल सिंह। आखिर कौन है यह शख्स, इसकी गतिविधियां क्या हैं। जानिएः
पंजाब में अपनी राजनीतिक जमीन के लिए संघर्ष कर रहे शिरोमणि अकाली दल ने क्या अपनी रणनीति बदल ली है? आख़िर सुखबीर सिंह बादल कट्टरपंथियों के क़रीब क्यों दिखने लगे हैं?
पंजाब में 'भारत जोड़ो यात्रा' के गुजरने के दौरान ही मनप्रीत सिंह बादल के कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल होने के क्या मायने हैं? जानिए वह किस वजह से बीजेपी में शामिल हुए।
पंजाब सरकार के राजनीतिक नेतृत्व और अफ़सरशाही के बीच आख़िर क्यों ठनी हुई है? पीसीएस अधिकारी आख़िर सामूहिक छुट्टी पर क्यों चले गए? जानिए, क्या हालात हैं।
पंजाबी दैनिक अजीत और अजीत समाचार को मिलने वाले सरकारी विज्ञापन बंद करने के बाद 'पंजाबी ट्रिब्यून' के साथ भी भगवंत मान सरकार ने ऐसा ही किया है। क्या ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि इन्होंने मान सरकार को सच का आईना दिखाया है।
श्री गुरु गोविंद सिंह जी के अमर शहीद साहिबजादों की ऐतिहासिक तथा अमर शहादत को 'वीर बाल दिवस' के तौर पर मनाए जाने का पंजाब में विरोध क्यों हो रहा है? जानिए उनका क्या तर्क है।
क्या पंजाब में भगवंत मान की अगुवाई वाली आम आदमी पार्टी की सरकार केंद्र की भाजपा सरकार की लाइन पर चल रही है। सरकार ने क्यों पंजाबी दैनिक अजीत और अजीत समाचार को मिलने वाले सरकारी विज्ञापन बंद कर दिए हैं?
पंजाब के फिरोजपुर जिले के जीरा में शराब फैक्ट्री के विरोध में किसान पिछले पांच महीने से धरना दे रहे हैं। क्या है किसान नेताओं की मांग और वे क्यों धरना दे रहे हैं?
शेर मोहम्मद खान की बदौलत मलेरकोटला का नाम दुनिया भर में सिख इतिहास पर लिखी गई बेशुमार भाषाओं की किताबों में बाकायदा पूरे तथ्यों के साथ शुमार है। पढ़िए, मलेरकोटला के इतिहास से जुड़ी बेहद जरूरी जानकारी।
पीलीभीत में 1991 में फर्जी मुठभेड़ में 11 बेगुनाह सिखों को मार दिया गया था। सीबीआई जांच में इन्हें निर्दोष माना गया था। निचली अदालत ने आरोपी पुलिस वालों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। लेकिन अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दोषी पुलिस वालों की सजा कम करके 7-7 साल की कैद कर दिया और जुर्माने का पैसा भी कम कर दिया। हाईकोर्ट के फैसले के दूरगामी नतीजे क्या निकलेंगे, इस पर विचार की जरूरत है।